आ त्वा॒ हर॑यो॒ वृष॑णो युजा॒ना वृष॑रथासो॒ वृष॑रश्म॒योऽत्याः॑। अ॒स्म॒त्राञ्चो॒ वृष॑णो वज्र॒वाहो॒ वृष्णे॒ मदा॑य सु॒युजो॑ वहन्तु ॥१९॥
ā tvā harayo vṛṣaṇo yujānā vṛṣarathāso vṛṣaraśmayo tyāḥ | asmatrāñco vṛṣaṇo vajravāho vṛṣṇe madāya suyujo vahantu ||
आ। त्वा॒। हर॑यः। वृष॑णः। यु॒जा॒नाः। वृष॑ऽरथासः। वृष॑ऽरश्मयः। अत्याः॑। अ॒स्म॒त्राञ्चः॑। वृष॑णः। व॒ज्र॒ऽवाहः॑। वृष्णे॑। मदा॑य। सु॒ऽयुजः॑। व॒ह॒न्तु॒ ॥१९॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर राजा और मन्त्रीजन कैसे होवें, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुना राजामात्याः कीदृशा भवेयुरित्याह ॥
हे इन्द्र राजन् ! यथा वृषणो युजाना वृषरथासो वृषरश्मयोऽत्या अस्मत्राञ्चो वृषणो वज्रवाहः सुयुजो हरयो वृष्णे मदाय त्वा वहन्तु तथैतांस्त्वं प्रीत्याऽऽवह ॥१९॥
MATA SAVITA JOSHI
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