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प्रो द्रोणे॒ हर॑यः॒ कर्मा॑ग्मन्पुना॒नास॒ ऋज्य॑न्तो अभूवन्। इन्द्रो॑ नो अ॒स्य पू॒र्व्यः प॑पीयाद्द्यु॒क्षो मद॑स्य सो॒म्यस्य॒ राजा॑ ॥२॥

English Transliteration

pro droṇe harayaḥ karmāgman punānāsa ṛjyanto abhūvan | indro no asya pūrvyaḥ papīyād dyukṣo madasya somyasya rājā ||

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Pad Path

प्रो इति॑। द्रोणे॑। हर॑यः। कर्म॑। अ॒ग्म॒न्। पु॒ना॒नासः॑। ऋज्य॑न्तः। अ॒भू॒व॒न्। इन्द्रः॑। नः॒। अ॒स्य। पू॒र्व्यः। प॒पी॒या॒त्। द्यु॒क्षः। मद॑स्य। सो॒म्यस्य। राजा॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:37» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:9» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य परस्पर कैसा वर्त्ताव करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (इन्द्रः) अत्यन्त ऐश्वर्य्यवाला (अस्य) इस (सोम्यस्य) ऐश्वर्य्य में हुए (मदस्य) आनन्द का (द्युक्षः) अन्तरिक्ष के सदृश भूमि जिसकी वह (पपीयात्) बढ़े और (पूर्व्यः) पूर्वजनों से उत्पन्न किया गया (नः) हम लोगों का (राजा) प्रकाशमान राजा होवे और जो (पुनानासः) पवित्र (ऋज्यन्तः) सरल के सदृश आचरण करते हुए (हरयः) मनुष्य (द्रोणे) परिमाण में (कर्म) कर्म्म को (प्रो) अच्छे प्रकार (अग्मन्) प्राप्त होते हैं और (अभूवन्) प्रसिद्ध होते हैं, वे अन्यों को भी पवित्र करते हैं ॥२॥
Connotation: - जो राजा आदि श्रेष्ठ जन स्वयं पवित्र और श्रेष्ठ स्वभाववाले और सरल होकर श्रेष्ठ कर्म्मों को करके न्याय से हम लोगों की रक्षा करते हैं, वे हम लोगों से सत्कार करने योग्य हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः परस्परं कथं वर्त्तेरन्नित्याह ॥

Anvay:

य इन्द्रोऽस्य सोम्यस्य मदस्य द्युक्षः पपीयात् पूर्व्यो नो राजा भवेद्ये पुनानास ऋज्यन्तो हरयो द्रोणे कर्म प्रो अग्मन्नभूवँस्तेऽन्यानपि पवित्रयन्ति ॥२॥

Word-Meaning: - (प्रो) प्रकर्षे (द्रोणे) परिमाणे (हरयः) मनुष्याः (कर्म) (अग्मन्) प्राप्नुवन्ति (पुनानासः) पवित्राः। (ऋज्यन्तः) ऋजुरिवाचरन्तः (अभूवन्) प्रसिद्धा भवन्ति (इन्द्रः) परमैश्वर्यः (नः) अस्माकम् (अस्य) (पूर्व्यः) पूर्वैर्निष्पादितः (पपीयात्) वर्धेत (द्युक्षः) द्यौरिव क्षा भूमिर्यस्य (मदस्य) आनन्दस्य (सोम्यस्य) सोम ऐश्वर्ये भवस्य (राजा) प्रकाशमानः ॥२॥
Connotation: - ये राजादयः सभ्याः स्वयं पवित्राः सुशीलाः सरला भूत्वा शुभानि कर्माणि कृत्वा न्यायेनाऽस्मान् रक्षन्ति तेऽस्माभिः सत्कर्त्तव्याः सन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे राजे स्वतः सभ्य पवित्र, सुशील व सरळ असून शुभ कर्म करून न्यायाने आमचे रक्षण करतात ते सर्वांकडून सत्कार घेण्यायोग्य असतात. ॥ २ ॥