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कर्हि॑ स्वि॒त्तदि॑न्द्र॒ यज्ज॑रि॒त्रे वि॒श्वप्सु॒ ब्रह्म॑ कृ॒णवः॑ शविष्ठ। क॒दा धियो॒ न नि॒युतो॑ युवासे क॒दा गोम॑घा॒ हव॑नानि गच्छाः ॥३॥

English Transliteration

karhi svit tad indra yaj jaritre viśvapsu brahma kṛṇavaḥ śaviṣṭha | kadā dhiyo na niyuto yuvāse kadā gomaghā havanāni gacchāḥ ||

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Pad Path

कर्हि॑। स्वि॒त्। तत्। इ॒न्द्र॒। यत्। ज॒रि॒त्रे। वि॒श्वऽप्सु॑। ब्रह्म॑। कृ॒णवः॑। श॒वि॒ष्ठ॒। क॒दा। धियः॑। न। नि॒ऽयुतः॑। यु॒वा॒से॒। क॒दा। गोऽम॑घा। हव॑नानि। ग॒च्छाः॒ ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:35» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:7» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:3» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (शविष्ठ) अतिशय बली (इन्द्र) विद्या और ऐश्वर्य्य से युक्त राजन् ! आप (कर्हि) कब (स्वित्) कहिये ! (जरित्रे) स्तुति करनेवाले के लिये (यत्) जो (विश्वप्सु) अनेक रूप (ब्रह्म) धन (कृणवः) करेंगे (तत्) उसको इसके लिये हम लोग भी करें तथा (नियुतः) अत्यन्त श्रेष्ठ गुणों से युक्त (न) जैसे वैसे (धियः) बुद्धियों को (कदा) कब (युवासे) मिलाइयेगा और (गोमघा) पृथिवी के राज्य से सत्कृत धनों तथा (हवनानि) ग्रहण करने योग्यों को (कदा) कब (गच्छाः) प्राप्त हूजियेगा ॥३॥
Connotation: - हे राजन् ! आप सम्पूर्ण धन, पूर्ण बुद्धियाँ और उत्तम क्रियाओं को कब करियेगा? अर्थात् शीघ्र इनको करिये ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे शविष्ठेन्द्र ! त्वं कर्हि स्विज्जरित्रे यद्विश्वप्सु ब्रह्म कृणवस्तदस्मै वयमपि कुर्याम नियुतो न धियः कदा युवासे गोमघा हवनानि कदा गच्छाः ॥३॥

Word-Meaning: - (कर्हि) कदा (स्वित्) प्रश्ने (तत्) (इन्द्र) विद्यैश्वर्ययुक्त राजन् (यत्) (जरित्रे) स्तावकाय (विश्वप्सु) विविधरूपम् (ब्रह्म) धनम् (कृणवः) कुर्याः (शविष्ठ) अतिशयेन बलिन् (कदा) (धियः) प्रज्ञाः (न) इव (नियुतः) नितरां शुभगुणयुक्तः (युवासे) मिश्रय (कदा) (गोमघा) पृथिवीराज्येन सत्कृतानि धनानि (हवनानि) ग्रहीतव्यानि (गच्छाः) प्राप्नुयाः ॥३॥
Connotation: - हे राजँस्त्वमखिलं धनं पूर्णा धिय उत्तमाः क्रियाश्च कदा करिष्यस्यर्थात् सद्य एतानि कुर्विति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा ! तू संपूर्ण धनप्राप्ती व पूर्ण, बुद्धियुक्त उत्तम क्रिया केव्हा करशील? अर्थात शीघ्र कर. ॥ ३ ॥