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त्वां ही॒३॒॑न्द्राव॑से॒ विवा॑चो॒ हव॑न्ते चर्ष॒णयः॒ शूर॑सातौ। त्वं विप्रे॑भि॒र्वि प॒णीँर॑शाय॒स्त्वोत॒ इत्सनि॑ता॒ वाज॒मर्वा॑ ॥२॥

English Transliteration

tvāṁ hīndrāvase vivāco havante carṣaṇayaḥ śūrasātau | tvaṁ viprebhir vi paṇīm̐r aśāyas tvota it sanitā vājam arvā ||

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Pad Path

त्वाम्। हि। इ॒न्द्र॒। अव॑से। विवा॑चः। हव॑न्ते। च॒र्ष॒णयः॑। शूर॑ऽसातौ। त्वम्। विप्रे॑भिः। वि। प॒णीन्। अ॒शा॒यः॒। त्वाऽऊ॑तः। इत्। सनि॑ता। वाज॑म्। अर्वा॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:33» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:5» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) दुःख के नाश करनेवाले राजन् ! जो (हि) जिससे (अर्वा) घोड़े के समान श्रेष्ठ गुणों के ग्रहण करनेवाले वेगवाले (सनिता) विभाग करनेवाले (त्वोतः) आप से रक्षित जन (वाजम्) विज्ञान को प्राप्त होता है, उसके सहित (त्वम्) आप (विप्रेभिः) मेधावी जनों के साथ (पणीन्) प्रशंसितों को (वि, अशायः) सुलाइये उस (इत्) ही (त्वाम्) आपकी (अवसे) रक्षा आदि के लिये (शूरसातौ) शूरवीर जनों के विभागरूप सङ्ग्राम में (विवाचः) अनेक प्रकार की विद्या से युक्त वाणियोंवाले (चर्षणयः) विद्वान् जन (हवन्ते) स्तुति करते हैं ॥२॥
Connotation: - जो राजा धार्मिक विद्वानों के साथ राज्य का पालन करे तो उसकी कौन नहीं प्रशंसा करे ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! यो ह्यर्वेव सनिता त्वोतो वाजमाप्नोति तेन सहितस्त्वं विप्रेभिः पणीन् व्यशायस्तमित्त्वामवसे शूरसातौ विवाचश्चर्षणयो हवन्ते ॥२॥

Word-Meaning: - (त्वाम्) (हि) यतः (इन्द्र) दुःखविदारक राजन् (अवसे) रक्षणाद्याय (विवाचः) विविधविद्यायुक्ता वाचो येषान्ते (हवन्ते) स्तुवन्ति (चर्षणयः) विद्वांसः (शूरसातौ) शूराणां विभागरूपे सङ्ग्रामे (त्वम्) (विप्रेभिः) मेधाविभिः (वि) (पणीन्) प्रशंसितान् (अशायः) शायय (त्वोतः) त्वया रक्षितः (इत्) एव (सनिता) विभाजकः (वाजम्) विज्ञानम् (अर्वा) अश्व इव शुभगुणग्रहणे वेगवान् ॥२॥
Connotation: - यदि राजा धार्मिकैर्विद्वद्भिः सह राज्यपालनं कुर्यात्तर्हि तं को न प्रशंसेत् ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो राजा धार्मिक विद्वानांबरोबर राज्याचे पालन करतो त्याची प्रशंसा कोण करणार नाही? ॥ २ ॥