Go To Mantra

स वह्नि॑भि॒र्ऋक्व॑भि॒र्गोषु॒ शश्व॑न्मि॒तज्ञु॑भिः पुरु॒कृत्वा॑ जिगाय। पुरः॑ पुरो॒हा सखि॑भिः सखी॒यन्दृ॒ळ्हा रु॑रोज क॒विभिः॑ क॒विः सन् ॥३॥

English Transliteration

sa vahnibhir ṛkvabhir goṣu śaśvan mitajñubhiḥ purukṛtvā jigāya | puraḥ purohā sakhibhiḥ sakhīyan dṛḻhā ruroja kavibhiḥ kaviḥ san ||

Mantra Audio
Pad Path

सः। वह्नि॑ऽभिः। ऋक्व॑ऽभिः। गोषु॑। शश्व॑त्। मि॒तज्ञु॑ऽभिः। पु॒रु॒ऽकृत्वा॑। जि॒गा॒य॒। पुरः॑। पु॒रः॒ऽहा। सखि॑ऽभिः। स॒खि॒ऽयन्। दृ॒ळ्हा। रु॒रो॒ज॒। क॒विऽभिः॑। क॒विः। सन् ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:32» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:4» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:3» Mantra:3


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

राजा कैसे जनों के साथ मित्रता करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे सज्जनो ! जो (मितज्ञुभिः) सङ्कुचित जाँघवाले बैठे हुए विद्वानों और (ऋक्वभिः) प्रशंसित (वह्निभिः) धारण करनेवाले (कविभिः) विद्वानों से (कविः) विद्वान् (सन्) हुआ और (सखिभिः) मित्रों से (सखीयन्) मित्र के सदृश आचरण करता हुआ (पुरोहा) नगरों का नाश करनेवाला (दृळ्हाः) कम्पन क्रिया से रहित (पुरः) शत्रुओं के नगरों का (रुरोज) भङ्ग करता है और (गोषु) उत्तम प्रकार शिक्षित वाणियों में (शश्वत्) निरन्तर (पुरुकृत्वा) बहुत करके शत्रुओं को (जिगाय) जीतता है (सः) वही आप लोगों से मानने योग्य है ॥३॥
Connotation: - जो मनुष्य प्रशंसित, बलिष्ठ, थोड़े बोलनेवाले, विद्वान् मित्रों के साथ मित्रता कर राज्य को प्राप्त होकर दुष्टों का नाश करके धार्मिकों की रक्षा करते हैं, वे कृतकृत्य होते हैं ॥३॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

राजा कीदृशैः सह मित्रतां कुर्य्यादित्याह ॥

Anvay:

हे सज्जना ! यो मितज्ञुभिर्ऋक्वभिर्वह्निभिः कविभिः कविः सन् सखिभिः सखीयन् सन् पुरोहा दृळ्हाः पुरो रुरोज गोषु शश्वत् पुरुकृत्वा शत्रून् जिगाय स एव युष्माभिर्मन्तव्यः ॥३॥

Word-Meaning: - (सः) (वह्निभिः) वोढृभिः (ऋक्वभिः) प्रशंसितैः (गोषु) सुशिक्षितासु वाक्षु (शश्वत्) निरन्तरम् (मितज्ञुभिः) सङ्कुचितजानुभिरासीनैर्विद्वद्भिः (पुरुकृत्वा) (जिगाय) जयति (पुरः) शत्रूणां नगराणि (पुरोहा) पुराणां हन्ता (सखिभिः) मित्रैः (सखीयन्) सखेवाचरन् (दृळ्हाः) निष्कम्पाः (रुरोज) रुजति भनक्ति (कविभिः) विपश्चिद्भिः (कविः) विद्वान् (सन्) ॥३॥
Connotation: - ये मनुष्याः प्रशंसितैर्बलिष्ठैर्मितभाषिभिर्विद्वद्भिर्मित्रैस्सह मैत्रीं कृत्वा राज्यं प्राप्य दुष्टान् हत्वा धार्मिकान् रक्षन्ति ते कृतकृत्या भवन्ति ॥३॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जी माणसे प्रशंसित, बलवान, मितभाषी, विद्वान मित्रांबरोबर मैत्री करून राज्य प्राप्त करून दुष्टांचा नाश करून धार्मिकांचे रक्षण करतात ती कृतकृत्य होतात. ॥ ३ ॥