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गन्तेया॑न्ति॒ सव॑ना॒ हरि॑भ्यां ब॒भ्रिर्वज्रं॑ प॒पिः सोमं॑ द॒दिर्गाः। कर्ता॑ वी॒रं नर्यं॒ सर्व॑वीरं॒ श्रोता॒ हवं॑ गृण॒तः स्तोम॑वाहाः ॥४॥

English Transliteration

ganteyānti savanā haribhyām babhrir vajram papiḥ somaṁ dadir gāḥ | kartā vīraṁ naryaṁ sarvavīraṁ śrotā havaṁ gṛṇataḥ stomavāhāḥ ||

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Pad Path

गन्ता॑। इय॑न्ति। सव॑ना। हरि॑ऽभ्याम्। ब॒भ्रिः। वज्र॑म्। प॒पिः। सोम॑म्। द॒दिः। गाः। कर्ता॑। वी॒रम्। नर्य॑म्। सर्व॑ऽवीरम्। श्रोता॑। हव॑म्। गृ॒ण॒तः। स्तोम॑ऽवाहाः ॥४॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:23» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:15» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (स्तोमवाहाः) समूहों को धारण करनेवाले मनुष्यो ! जो (हरिभ्याम्) अध्यापक और उपदेशक मनुष्यों के साथ (इयान्ति) इतने (सवना) ऐश्वर्यकारक कर्म्मों को (गन्ता) प्राप्त होनेवाला (वज्रम्) अस्त्रविशेष को (बभ्रिः) पुष्ट करने वा धारण करने तथा (सोमम्) सोमलता के रस का (पपिः) पान करने और (गाः) गौओं को (ददिः) देनेवाला (गृणतः) स्तुति करते हुओं को और (हवम्) प्रशंसा करने योग्य को (श्रोता) सुननेवाला (सर्ववीरम्) सम्पूर्ण वीर जिससे उस (नर्यम्) मनुष्यों में श्रेष्ठ (वीरम्) वीरजन को (कर्त्ता) करनेवाला होवे, उसको राजा मानो ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो सम्पूर्ण राजकर्मों में निपुण हो, उसको राजा करके न्याय से राज्य का पालन करो ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे स्तोमवाहा मनुष्या ! यो हरिभ्यामियान्ति सवना गन्ता वज्रं बभ्रिः सोमं पपिर्गा ददिर्गृणतो हवं श्रोता सर्ववीरं नर्यं वीरं कर्त्ता भवेत्तं राजानं मन्यध्वम् ॥४॥

Word-Meaning: - (गन्ता) (इयान्ति) एतावन्ति। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (सवना) सवनान्यैश्वर्यकारकाणि कर्माणि (हरिभ्याम्) अध्यापकोपदेशकाभ्यां मनुष्याभ्यां सह (बभ्रिः) भर्त्ता धर्त्ता वा (वज्रम्) (पपिः) पाता (सोमम्) (ददिः) दाता (गाः) (कर्त्ता) (वीरम्) (नर्यम्) नृषु श्रेष्ठम् (सर्ववीरम्) सर्वे वीरा यस्मात्तम् (श्रोता) (हवम्) प्रशंसनीयम् (गृणतः) स्तुवतः (स्तोमवाहाः) ये स्तोमान् वहन्ति ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यः सर्वेषु राजकर्मसु कुशलः स्यात्तं नृपं कृत्वा न्यायेन राज्यं पालयत ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जो संपूर्ण राज्यकर्मात निपुण असेल त्याला राजा करून न्यायाने राज्याचे पालन करा. ॥ ४ ॥