Go To Mantra

अ॒भि त्वा॒ पाजो॑ र॒क्षसो॒ वि त॑स्थे॒ महि॑ जज्ञा॒नम॒भि तत्सु ति॑ष्ठ। तव॑ प्र॒त्नेन॒ युज्ये॑न॒ सख्या॒ वज्रे॑ण धृष्णो॒ अप॒ ता नु॑दस्व ॥७॥

English Transliteration

abhi tvā pājo rakṣaso vi tasthe mahi jajñānam abhi tat su tiṣṭha | tava pratnena yujyena sakhyā vajreṇa dhṛṣṇo apa tā nudasva ||

Mantra Audio
Pad Path

अ॒भि। त्वा॒। पाजः॑। र॒क्षसः॑। वि। त॒स्थे॒। महि॑। ज॒ज्ञा॒नम्। अ॒भि। तत्। सु। ति॒ष्ठ॒। तव॑। प्र॒त्नेन॑। युज्ये॑न। सख्या॑। वज्रे॑ण। धृ॒ष्णो॒ इति॑। अप॑। ता। नु॒द॒स्व॒ ॥७॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:21» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:12» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:7


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (धृष्णो) दृढ़ राजन् ! (तव) आपका जो (महि) बड़ा (जज्ञानम्) सुखजनक (पाजः) बल (रक्षसः) दुष्ट मनुष्यों के (अभि, वि, तस्थे) सम्मुख विशेषकर स्थित होता है (तत्) वह (त्वा) आपको प्राप्त होवे और आप उसके (अभि, सु तिष्ठ) सम्मुख स्थित हूजिये उस (प्रत्नेन) प्राचीन (युज्यते) युक्त करने के योग्य (सख्या) मित्र और (वज्रेण) शस्त्र और अस्त्रों के समूह से आप (ता) उन शत्रुसेनाओं को (अप, नुदस्व) दूर करिये ॥७॥
Connotation: - हे राजजन ! जो राजपुरुष दुष्टों के लिये दण्ड देते और श्रेष्ठों को पालन करते हैं, उनका आप सत्कार करिये ॥७॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे धृष्णो राजँस्तव यन्महि जज्ञानं पाजो रक्षसोऽभि वि तस्थे तत्त्वा प्राप्नोतु तत्वमभि सु तिष्ठ तेन प्रत्नेन युज्येन सख्या वज्रेण त्वं ता अप नुदस्व ॥७॥

Word-Meaning: - (अभि) आभिमुख्ये (त्वा) त्वाम् (पाजः) बलम् (रक्षसः) दुष्टान् मनुष्यान् (वि) (तस्थे) वितिष्ठते (महि) महत् (जज्ञानम्) सुखजनकम् (अभि) (तत्) (सु) (तिष्ठ) (तव) (प्रत्नेन) प्राचीनेन (युज्येन) योक्तुमर्हेण (सख्या) मित्रेण (वज्रेण) शस्त्रास्त्रसमूहेन (धृष्णो) दृढ (अप) (ता) तानि शत्रूणां सैन्यानि (नुदस्व) दूरीकुरु ॥७॥
Connotation: - हे राजजन ! ये राजपुरुषा दुष्टेभ्यो दण्डं ददति श्रेष्ठानां पालनं कुर्वन्ति तांस्त्वं सत्कुर्याः ॥७॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे राजजनांनो ! जे राजपुरुष दुष्टांना दंड देतात, श्रेष्ठांचे पालन करतात त्यांचा तुम्ही सत्कार करा. ॥ ७ ॥