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नू म॒ आ वाच॒मुप॑ याहि वि॒द्वान्विश्वे॑भिः सूनो सहसो॒ यज॑त्रैः। ये अ॑ग्निजि॒ह्वा ऋ॑त॒साप॑ आ॒सुर्ये मनुं॑ च॒क्रुरुप॑रं॒ दसा॑य ॥११॥

English Transliteration

nū ma ā vācam upa yāhi vidvān viśvebhiḥ sūno sahaso yajatraiḥ | ye agnijihvā ṛtasāpa āsur ye manuṁ cakrur uparaṁ dasāya ||

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Pad Path

नु। मे॒। आ। वाच॑म्। उप॑। या॒हि॒। वि॒द्वान्। विश्वे॑भिः। सू॒नो॒ इति॑। स॒ह॒सः॒। यज॑त्रैः। ये। अ॒ग्नि॒ऽजि॒ह्वाः। ऋ॒त॒ऽसापः॑। आ॒सुः। ये। मनु॑म्। च॒क्रुः। उप॑रम्। दसा॑य ॥११॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:21» Mantra:11 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:12» Mantra:6 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (सहसः) बलवान् के (सूनो) सन्तान (विद्वान्) विद्यायुक्त जन ! आप (मे) मेरी (वाचम्) वाणी को (उप, आ, याहि) अच्छे प्रकार प्राप्त हूजिये और (ये) जो (अग्निजिह्वाः) अग्नि के समान तीव्र प्रज्वलित जिह्वा जिन की (ऋतसापः) सत्य से युक्त होनेवाले (आसुः) होते हैं जिन (विश्वेभिः) सम्पूर्ण (यजत्रैः) मिलने योग्यों के साथ (नु) शीघ्र मेरे उपदेश को प्राप्त हूजिये और (ये) जो (उपरम्) मेघ को जैसे वैसे (दसाय) शत्रुओं के नाश होने के लिये (मनुम्) विचारशील मनुष्य को (चक्रुः) करते हैं, उनका सदा सत्कार करिये ॥११॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। मनुष्य सदा ही सत्यवादी विद्वानों को उत्तम प्रकार मिलें और प्रतिज्ञा से सत्य का आचरण करें ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं कर्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे सहसः सूनो विद्वांस्त्वं मे वाचमुपाऽऽयाहि येऽग्निजिह्वा ऋतसाप आसुस्तैर्विश्वेभिर्यजत्रैस्सह नु मदीयं वचनमुपायाहि। य उपरमिव दसाय मनुं चक्रुस्तान्त्सदा सत्कुर्याः ॥११॥

Word-Meaning: - (नु) सद्यः (मे) मम (आ) समन्तात् (वाचम्) उपदेशम् (उप) (याहि) प्राप्नुहि (विद्वान्) (विश्वेभिः) सर्वैः (सूनो) अपत्य (सहसः) बलवतः (यजत्रैः) सङ्गन्तुमर्हैः (ये) (अग्निजिह्वाः) अग्निरिव तीव्रा प्रज्वलिता जिह्वा येषां ते (ऋतसापः) य ऋतेन सत्येन सपन्ति (आसुः) भवन्ति (ये) (मनुम्) मननशीलं मनुष्यम् (चक्रुः) कुर्वन्ति (उपरम्) मेघमिव (दसाय) शत्रूणामुपक्षयाय ॥११॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । मनुष्याः सदैव सत्यवादिनो विदुषः सङ्गच्छेरन् प्रतिज्ञया च सत्यमाचरेयुः ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. माणसांनी सदैव सत्यवादी विद्वानांना भेटावे व प्रतिज्ञापूर्वक सत्याचरण करावे. ॥ ११ ॥