Go To Mantra

तव॑ ह॒ त्यदि॑न्द्र॒ विश्व॑मा॒जौ स॒स्तो धुनी॒चुमु॑री॒ या ह॒ सिष्व॑प्। दी॒दय॒दित्तुभ्यं॒ सोमे॑भिः सु॒न्वन्द॒भीति॑रि॒ध्मभृ॑तिः प॒क्थ्य१॒॑र्कैः ॥१३॥

English Transliteration

tava ha tyad indra viśvam ājau sasto dhunīcumurī yā ha siṣvap | dīdayad it tubhyaṁ somebhiḥ sunvan dabhītir idhmabhṛtiḥ pakthy arkaiḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

तव॑। ह॒। त्यत्। इ॒न्द्र॒। विश्व॑म्। आ॒जौ। स॒स्तः। धुनी॒चुमु॑री॒ इति॑। या। ह॒। सिस्व॑प्। दी॒दय॑त्। इत्। तुभ्य॑म्। सोमे॑भिः। सु॒न्वन्। द॒भीतिः॑। इ॒ध्मऽभृ॑तिः। प॒क्थी। अ॒र्कैः ॥१३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:20» Mantra:13 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:10» Mantra:8 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:13


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह क्या करे, इस विषय को कहते हैं

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) सुख के धारण करनेवाले (तव) आपके (या) जो (धुनीचुमुरी) शब्द और भोग (आजौ) संग्राम में (विश्वम्) सम्पूर्ण का पालन करते हैं ओर जो (सस्तः) शयन करता हुआ (ह) निश्चय से (सिष्वप्) सोता हुआ (दीदयत्) प्रकाश करता है और जो (दभीतिः) हिंसा करने और (इध्मभृतिः) काष्ठ का धारण करनेवाला (पक्थी) पाचक (अर्कैः) अन्नों से और (सोमेभिः) ऐश्वर्य और ओषधि आदिकों से (सुन्वन्) उत्पन्न करता हुआ (तुभ्यम्) आपके लिये (इत्) ही सुख को देवे (त्यत्) उसको (ह) निश्चय से और उन सबों को सदा सत्कार करिये ॥१३॥
Connotation: - हे राजन् ! आप बहुत बोलनेवाले, भोक्ता, वीर जनों का सत्कार करके सेनाओं को प्रबल करिये ॥१३॥ इस सूक्त में इन्द्र, विद्वान्, राजा और प्रजा के गुणवर्णन करने से इस सूक्त के अर्थ की इससे पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह बीसवाँ सूक्त और दशवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! तव या धुनीचुमुरी आजौ विश्वं पालयतो यः सस्तो ह सिष्वब्दीदयद्यो दभीतिरिध्मभृतिः पक्थ्यर्कैः सोमेभिः सुन्वँस्तुभ्यमित् सुखं प्रयच्छेत्त्यद्ध तान्त्सर्वान्त्सदा सत्कुर्याः ॥१३॥

Word-Meaning: - (तव) (ह) किल (त्यत्) तत् (इन्द्र) सुखधर्तः (विश्वम्) समग्रम् (आजौ) सङ्ग्रामे (सस्तः) श्यानः (धुनीचुमुरी) ध्वनिः शब्दश्चुमुरिर्भोगश्च तौ (या) यौ (ह) (सिष्वप्) स्वपन् (दीदयत्) प्रकाशयति (इत्) एव (तुभ्यम्) (सोमेभिः) ऐश्वर्यौषध्यादिभिः (सुन्वन्) निष्पादयन् (दभीतिः) हिंसकः (इध्मभृतिः) इध्मानां धारकः (पक्थी) पाचकः (अर्कैः) अन्नैः ॥१३॥
Connotation: - हे राजँस्त्वं वावदूकान् भोक्तॄन् वीराञ्जनान् सत्कृत्य सेनाः प्रबलाः कुर्याः ॥१३॥ अत्रेन्द्रविद्वद्राजप्रजागुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इति विंशतितमं सूक्तं दशमो वर्गश्च समाप्तः ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे राजा ! वाक्पटू, भोक्ते, वीर लोक यांचा सत्कार करून सेना प्रबल कर. ॥ १३ ॥