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त्वं वृ॒ध इ॑न्द्र पू॒र्व्यो भू॑र्वरिव॒स्यन्नु॒शने॑ का॒व्याय॑। परा॒ नव॑वास्त्वमनु॒देयं॑ म॒हे पि॒त्रे द॑दाथ॒ स्वं नपा॑तम् ॥११॥

English Transliteration

tvaṁ vṛdha indra pūrvyo bhūr varivasyann uśane kāvyāya | parā navavāstvam anudeyam mahe pitre dadātha svaṁ napātam ||

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Pad Path

त्वम्। वृ॒धः। इ॒न्द्र॒। पू॒र्व्यः॑। भूः॒। व॒रि॒व॒स्यन्। उ॒शने॑। का॒व्याय॑। परा॑। नव॑ऽवास्त्वम्। अ॒नु॒ऽदेय॑म्। म॒हे। पि॒त्रे। द॒दा॒थ॒। स्वम्। नपा॑तम् ॥११॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:20» Mantra:11 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:10» Mantra:6 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्रः) विद्या और ऐश्वर्य से युक्त (पूर्व्यः) प्राचीन से किये गये विद्वान् (त्वम्) आप (वृधः) वृद्धि करनेवालों की (वरिवस्यन्) सेवा करते हुए (उशने) कामना करते हुए (काव्याय) विद्वानों से उत्तम प्रकार शिक्षित के लिये दाता (भूः) हूजिये (स्वम्) अपने (नपातम्) पतन से रहित (अनुदेयम्) पश्चात् देने योग्य (नववास्त्वम्) नवीन निवास को (महे) बड़े (पित्रे) पालन करनेवाले के लिये (ददाथ) दीजिये और नहीं (परा) पीछे लीजिये अर्थात् न लौटाइये ॥११॥
Connotation: - जो राजा सब का यथायोग्य सत्कार करता है, वह पिता के तुल्य होता है ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजा किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! पूर्व्यस्त्वं वृधो वरिवस्यन्नुशने काव्याय दाता भूः स्वं नपातमनुदेयं नववास्त्वं महे पित्रे ददाथ न पराऽऽददाथ ॥११॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (वृधः) वर्धकान् (इन्द्र) विद्यैश्वर्ययुक्त (पूर्व्यः) पूर्वैः कृतो विद्वान् (भूः) भवेः (वरिवस्यन्) सेवमानः (उशने) कामयमानाय (काव्याय) कविभिः सुशिक्षिताय (परा) (नववास्त्वम्) नवीनं निवासम् (अनुदेयम्) अनुदातुं योग्यम् (महे) महते (पित्रे) पालकाय (ददाथ) देहि (स्वम्) स्वकीयम् (नपातम्) पातरहितम् ॥११॥
Connotation: - यो राजा सर्वेषां यथायोग्यं सत्कारं करोति स पितृवद् भवति ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जो राजा सर्वांचा यथायोग्य सत्कार करतो तो पित्याप्रमाणे असतो. ॥ ११ ॥