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अ॒या वाजं॑ दे॒वहि॑तं सनेम॒ मदे॑म श॒तहि॑माः सु॒वीराः॑ ॥१५॥

English Transliteration

ayā vājaṁ devahitaṁ sanema madema śatahimāḥ suvīrāḥ ||

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Pad Path

अ॒या। वाज॑म्। दे॒वऽहि॑तम्। स॒ने॒म॒। मदे॑म। श॒तऽहि॑माः। सु॒ऽवीराः॑ ॥१५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:17» Mantra:15 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:3» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:15


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! (अया) इस नीति से (शतहिमाः) सौ वर्ष पर्य्यन्त जीवनेवाले (सुवीराः) उत्तम वीर जनों से युक्त हुए हम लोग (देवहितम्) विद्वानों के लिये हितकारी (वाजम्) विज्ञान का (सनेम) विभाग करें और (मदेम) आनन्द करें ॥१५॥
Connotation: - राजा को चाहिये कि विद्वानों का सङ्ग और विनय से राज्यपालन के लिये उत्तम वीर जनों को अधिकृत करें ॥१५॥ इस सूक्त में अग्नि, विद्वान्, राजा, मन्त्री और प्रजा के कृत्य वर्णन करने से इस सूक्त के अर्थ की इससे पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह सत्रहवाँ सूक्त और तीसरा वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे राजन् ! यथा शतहिमाः सुवीराः सन्तो वयं देवहितं वाजं सनेम मदेम ॥१५॥

Word-Meaning: - (अया) अनया नीत्या (वाजम्) विज्ञानम् (देवहितम्) देवेभ्यो हितकारिणम् (सनेम) विभजेम (मदेम) आनन्देम (शतहिमाः) शतवर्षजीविनः (सुवीराः) उत्तमवीरयुक्ताः ॥१५॥
Connotation: - राज्ञा विद्वत्सङ्गो विनयेन राज्यपालनायोत्तमवीरा अधिकर्त्तव्या ॥१५॥ अत्राग्निविद्वद्राजामात्यप्रजाकृत्यवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इति सप्तदशं सूक्तं तृतीयो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - राजाने विद्वानांचा संग व विनयाने राज्य पालनासाठी उत्तम वीर लोकांना नेमावे. ॥ १५ ॥