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त्वं होता॒ मनु॑र्हितो॒ वह्नि॑रा॒सा वि॒दुष्ट॑रः। अग्ने॒ यक्षि॑ दि॒वो विशः॑ ॥९॥

English Transliteration

tvaṁ hotā manurhito vahnir āsā viduṣṭaraḥ | agne yakṣi divo viśaḥ ||

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Pad Path

त्वम्। होता॑। मनुः॑ऽहितः। वह्निः॑। आ॒सा। वि॒दुःऽत॑रः। अग्ने॑। यक्षि॑। दि॒वः। विशः॑ ॥९॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:16» Mantra:9 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:22» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा प्रजाओं में कैसे वर्त्ताव करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वन् ! राजन् (वह्निः) प्राप्त करनेवाला अग्नि जैसे वैसे (होता) दाता (मनुर्हितः) मनुष्यों के हितकारी (विदुष्टरः) अत्यन्त विज्ञानवाले (त्वम्) आप (आसा) मुख से (दिवः) कामना करती हुई (विशः) प्रजाओं को (यक्षि) सुखयुक्त करिये ॥९॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे प्रजाजनो ! जैसे राजा आप लोगों की कामना करता और सुख देने की इच्छा करता है, वैसे आप लोग भी उस राजा की कामना करके उसके लिये निरन्तर सुख दीजिये ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजा प्रजासु कथं वर्तेतेत्याह ॥

Anvay:

हे अग्ने राजन् ! वह्निरिव होता मनुर्हितो विदुष्टरस्त्वमासा दिवो विशो यक्षि ॥९॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (होता) दाता (मनुर्हितः) मनुष्याणां हितकारी (वह्निः) वोढा पावक इव (आसा) मुखेन (विदुष्टरः) विज्ञानवत्तमः (अग्ने) विपश्चित् (यक्षि) यज सुखं सङ्गमय (दिवः) कामयमानाः (विशः) प्रजाः ॥९॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे प्रजाजना ! यथा पार्थिवो युष्मान् कामयते सुखं दातुमिच्छति तथा यूयमपि तं कामयित्वा तस्मै सततं सुखं प्रयच्छत ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे प्रजाजनांनो ! जसा राजा तुमची कामना करतो व सुख देण्याची इच्छा करतो तसे तुम्हीही त्या राजाची कामना करून त्याला सतत सुख द्या. ॥ ९ ॥