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आ यं हस्ते॒ न खा॒दिनं॒ शिशुं॑ जा॒तं न बिभ्र॑ति। वि॒शाम॒ग्निं स्व॑ध्व॒रम् ॥४०॥

English Transliteration

ā yaṁ haste na khādinaṁ śiśuṁ jātaṁ na bibhrati | viśām agniṁ svadhvaram ||

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Pad Path

आ। यम्। हस्ते॑। न। खा॒दिन॑म्। शिशु॑म्। जा॒तम्। न। बिभ्र॑ति। वि॒शाम्। अ॒ग्निम्। सु॒ऽअ॒ध्व॒रम् ॥४०॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:16» Mantra:40 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:28» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:40


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (यम्) जिसको (हस्ते) हाथ में (खादिनम्) भक्षण करनेवाले के (न) समान और (जातम्) उत्पन्न हुए (शिशुम्) बालक के (न) समान (विशाम्) मनुष्यादि प्रजाओं के (स्वध्वरम्) सुन्दर यज्ञ जिससे हों उस (अग्निम्) प्रकाशमान अग्नि को (आ, बिभ्रति) सब ओर से धारण करते हैं, वे उससे कृतकृत्य होते हैं ॥४०॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जो हाथ में आँवले को जैसे वैसे, गोदी में लड़के को जैसे वैसे अग्निविद्या को जानते हैं, वे प्रजा के स्वामी होते हैं ॥४०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

ये यं हस्ते खादिनं न जातं शिशुं न विशां स्वध्वरमग्निमाऽऽबिभ्रति ते तेन कृतकृत्या जायन्ते ॥४०॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (यम्) (हस्ते) (न) इव (खादिनम्) खादितुं भक्षयितुं शीलम् (शिशुम्) बालम् (जातम्) उत्पन्नम् (न) इव (बिभ्रति) भरन्ति (विशाम्) मनुष्यादिप्रजानाम् (अग्निम्) प्रकाशमानम् (स्वध्वरम्) शोभना अध्वरा यस्मात्तम् ॥४०॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! ये हस्तामलकवत् क्रोडे शिशुमिवाग्निविद्यां जानन्ति ते प्रजापतयो भवन्ति ॥४०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! जे हस्तमलकावत (हातातील आवळ्याप्रमाणे) व कुशीतील बाळाप्रमाणे अग्निविद्या जाणतात ते प्रजेचे स्वामी बनतात. ॥ ४० ॥