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अ॒ग्निर्वृ॒त्राणि॑ जङ्घनद्द्रविण॒स्युर्वि॑प॒न्यया॑। समि॑द्धः शु॒क्र आहु॑तः ॥३४॥

English Transliteration

agnir vṛtrāṇi jaṅghanad draviṇasyur vipanyayā | samiddhaḥ śukra āhutaḥ ||

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Pad Path

अ॒ग्निः। वृ॒त्राणि॑। ज॒ङ्घ॒न॒त्। द्र॒वि॒ण॒स्युः। वि॒प॒न्यया॑। सम्ऽइ॑द्धः। शु॒क्रः। आऽहु॑तः ॥३४॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:16» Mantra:34 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:27» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:34


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! उद्योगवाले जैसे (शुक्रः) शीघ्रकारिणी (समिद्धः) प्रदीप्त (अग्निः) बिजुली (वृत्राणि) धनों को (जङ्घनत्) अत्यन्त प्राप्त होती है, वैसे (द्रविणस्युः) अपने धन की इच्छा करनेवाले (आहुतः) सब प्रकार सत्कार को प्राप्त आप (विपन्यया) विशिष्ट उद्यम से धनों को प्राप्त होओ ॥३४॥
Connotation: - जो निरन्तर उद्यम करते वे दारिद्र्य का नाश करते हैं ॥३४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन्नुद्यमिन् ! यथा शुक्रः समिद्धोऽग्निर्वृत्राणि जङ्घनत् तथा द्रविणस्युराहुतस्त्वं विपन्यया वृत्राणि प्राप्नुहि ॥३४॥

Word-Meaning: - (अग्निः) विद्युत् (वृत्राणि) धनानि। वृत्रमिति धननाम। (निघं०२.१०) (जङ्घनत्) भृशं हन्ति प्राप्नोति (द्रविणस्युः) आत्मनो द्रविणमिच्छुः (विपन्यया) विशिष्टोद्यमेन (समिद्धः) प्रदीप्तः (शुक्रः) आशुकारी (आहुतः) समन्तात् कृतसत्कारः ॥३४॥
Connotation: - ये सततमुद्यमं कुर्वन्ति ते दारिद्र्यं घ्नन्ति ॥३४॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे सतत उद्योग करतात, ते दारिद्र्याचा नाश करतात. ॥ ३४ ॥