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अधा॒ होता॒ न्य॑सीदो॒ यजी॑यानि॒ळस्प॒द इ॒षय॒न्नीड्यः॒ सन्। तं त्वा॒ नरः॑ प्रथ॒मं दे॑व॒यन्तो॑ म॒हो रा॒ये चि॒तय॑न्तो॒ अनु॑ ग्मन् ॥२॥

English Transliteration

adhā hotā ny asīdo yajīyān iḻas pada iṣayann īḍyaḥ san | taṁ tvā naraḥ prathamaṁ devayanto maho rāye citayanto anu gman ||

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Pad Path

अध॑। होता॑। नि। अ॒सी॒दः॒। यजी॑यान्। इ॒ळः। प॒दे। इ॒षय॑न्। ईड्यः॑। सन्। तम्। त्वा॒। नरः॑। प्र॒थ॒मम्। दे॒व॒ऽयन्तः॑। म॒हः। रा॒ये। चि॒तय॑न्तः। अनु॑। ग्म॒न् ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:1» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:35» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्य किस रीति से विद्या को प्राप्त होवें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जिस प्रकार से (होता) ग्रहण करने और (यजीयान्) अत्यन्त यज्ञ करनेवाला पुरुष (इषयन्) प्राप्त कराता और (ईड्यः) स्तुति करने योग्य (सन्) होता हुआ अग्नि (इळः) पृथिवी वा वाणी के (पदे) स्थान में वर्त्तमान है, वैसे होकर आप (नि, असीदः) निरन्तर स्थिर हूजिये और जैसे (देवयन्तः) कामना करते और (चितयन्तः) जनाते हुए (नरः) मनुष्य (प्रथमम्) आदिम अग्नि को (अनु, ग्मन्) पश्चात् चलते हैं, वैसे (अधा) अनन्तर (महः) बड़े (राये) धन के लिये (तम्) उस (त्वा)आपको ये सब पश्चात् प्राप्त होवें ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । जो मनुष्य विद्वानों की कामना करके अग्नि आदि की विद्या को ग्रहण करने की इच्छा करते हैं, वे विज्ञानयुक्त होते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्याः कथं विद्यां प्राप्नुयुरित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यथा होता यजीयानिषयन्नीड्यः सन्नग्निरिळस्पदे वर्त्तते तथा भूत्वा त्वं न्यसीदः। यथा देवयन्तश्चितयन्तो नरः प्रथममग्निमनु ग्मँस्तथाऽधा महो राये तं त्वैतेऽनुगच्छन्तु ॥२॥

Word-Meaning: - (अधा) आनन्तर्ये। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (होता) आदाता (नि) (असीदः) तिष्ठेः (यजीयान्) अतिशयेन यष्टा (इळः) पृथिव्या वाचो वा (पदे) (इषयन्) प्रापयन् (ईड्यः) स्तोतुमर्हः (सन्) (तम्) (त्वा) त्वाम् (नरः) मनुष्याः (प्रथमम्) आदिमम् (देवयन्तः) कामयमानाः (महः) महते (राये) धनाय (चितयन्तः) ज्ञापयन्तः (अनु) (ग्मन्) अनुगच्छन्ति ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । ये मनुष्या विदुषः कामयित्वाऽग्न्यादिविद्यां जिघृक्षन्ति ते विज्ञानवन्तो जायन्ते ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माणसे विद्वानांची कामना करून अग्नी इत्यादीची विद्या शिकण्याची इच्छा बाळगतात ती विज्ञानयुक्त बनतात. ॥ २ ॥