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प्र वाता॒ वान्ति॑ प॒तय॑न्ति वि॒द्युत॒ उदोष॑धी॒र्जिह॑ते॒ पिन्व॑ते॒ स्वः॑। इरा॒ विश्व॑स्मै॒ भुव॑नाय जायते॒ यत्प॒र्जन्यः॑ पृथि॒वीं रेत॒साव॑ति ॥४॥

English Transliteration

pra vātā vānti patayanti vidyuta ud oṣadhīr jihate pinvate svaḥ | irā viśvasmai bhuvanāya jāyate yat parjanyaḥ pṛthivīṁ retasāvati ||

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Pad Path

प्र। वाताः॑। वान्ति॑। प॒तय॑न्ति। वि॒ऽद्युतः॑। उत्। ओष॑धीः। जिह॑ते। पिन्व॑ते। स्व१॒॑रिति॑ स्वः॑। इरा॑। विश्व॑स्मै। भुव॑नाय। जा॒यते॒। यत्। प॒र्जन्यः॑। पृ॒थि॒वीम्। रेत॑सा। अव॑ति ॥४॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:83» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:27» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या जानना योग्य है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यत्) जो (पर्जन्यः) पालनों को उत्पन्न करनेवाला मेघ (रेतसा) जल से (पृथिवीम्) भूमि की (अवति) रक्षा करता है जिससे (विश्वस्मै) सम्पूर्ण (भुवनाय) भुवन के लिये (इरा) अन्न आदिक (जायते) उत्पन्न होता है और बादल (स्वः) अन्तरिक्ष का (पिन्वते) सेवन करते हैं और जिससे (ओषधीः) ओषधियों को (उत्, जिहते) उत्तमता से प्राप्त होते हैं जिससे (विद्युतः) बिजुलियाँ (पतयन्ति) पतन होती है, जहाँ (वाताः) पवन (प्र) अत्यन्त (वान्ति) चलते हैं, उस मेघ को यथावत् तुम विशेष जानो ॥४॥
Connotation: - मनुष्य लोगों को चाहिये कि जिस मेघ से सबका पालन होता है, उसकी वृद्धि वृक्षों के लगने, वनों की रक्षा करने और होम करने से सिद्ध करें, जिससे सब का पालन सुख से होवे ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं वेदितव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यत्पर्जन्यो रेतसा पृथिवीमवति येन विश्वस्मै भुवनायेरा जायते घनाः स्वः पिन्वते येनौषधीरुज्जिहते यस्माद् विद्युतः पतयन्ति यत्र वाताः प्र वान्ति तं मेघं यथावद्यूयं विजानीत ॥४॥

Word-Meaning: - (प्र) प्रकर्षेण (वाताः) वायवः (वान्ति) गच्छन्ति (पतयन्ति) (विद्युतः) (उत्) (ओषधीः) (जिहते) प्राप्नुवन्ति (पिन्वते) सेवन्ते (स्वः) अन्तरिक्षम् (इरा) अन्नादिकम्। इरेत्यन्ननामसु पठितम्। (निघं० १।७) (विश्वस्मै) सर्वस्मै (भुवनाय) (जायते) (यत्) यः (पर्जन्यः) पालनजनकः (पृथिवीम्) (रेतसा) जलेन (अवति) रक्षति ॥४॥
Connotation: - मनुष्यैर्येन मेघेन सर्वस्य पालनं जायते तस्योन्नतिर्वृक्षप्रवापणेन वनरक्षणेन होमेन च संसाधनीया यतः सर्वस्य पालनं सुखेन जायेत ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या मेघाने सर्वांचे पालन होते त्याची वृद्धी, वृक्षारोपण, वनांचे संरक्षण करण्यासाठी माणसांनी होम करावा. ज्यामुळे सर्वांचे पालन सुखाने व्हावे. ॥ ४ ॥