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वि वृ॒क्षान् ह॑न्त्यु॒त ह॑न्ति र॒क्षसो॒ विश्वं॑ बिभाय॒ भुव॑नं म॒हाव॑धात्। उ॒ताना॑गा ईषते॒ वृष्ण्या॑वतो॒ यत्प॒र्जन्यः॑ स्त॒नय॒न् हन्ति॑ दु॒ष्कृतः॑ ॥२॥

English Transliteration

vi vṛkṣān hanty uta hanti rakṣaso viśvam bibhāya bhuvanam mahāvadhāt | utānāgā īṣate vṛṣṇyāvato yat parjanyaḥ stanayan hanti duṣkṛtaḥ ||

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Pad Path

वि। वृ॒क्षान्। ह॒न्ति॒। उ॒त। ह॒न्ति। र॒क्षसः॑। विश्व॑म्। बि॒भा॒य॒। भुव॑नम्। म॒हाऽव॑धात्। उ॒त। अना॑गाः। ई॒ष॒ते॒। वृष्ण्य॑ऽवतः। यत्। प॒र्जन्यः॑। स्त॒नय॑न्। हन्ति॑। दुः॒ऽकृतः॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:83» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:27» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे बढ़ई (वृक्षान्) काटने योग्य वृक्षों को (वि, हन्ति) विशेष कर के काटता है (उत) और न्यायकारी राजा जिनसे (विश्वम्) सम्पूर्ण संसार (बिभाय) भय करता है, उन (रक्षसः) दुष्ट आचरणवालों का (हन्ति) नाश करता है और (यत्) जो (पर्जन्यः) मेघ (स्तनयन्) शब्द करता हुआ (महावधात्) बड़े हनन से (भुवनम्) जल को वर्षाता है और जैसे (अनागाः) नहीं अपराध जिसमें वह (वृष्ण्यावतः) वर्षने योग्य मेघ जिनमें उन का (ईषते) नाश करता है (उत) और (दुष्कृतः) दुष्ट कर्मों के करनेवालों का (हन्ति) नाश करता है, वैसा ही मनुष्य वर्ताव करें ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । जो मनुष्य पालन करने योग्यों का पालन करते हैं और नाश करने योग्यों का नाश करते हैं, वे राजसत्ता से युक्त होते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा तक्षा वृक्षान् वि हन्त्युत न्यायकारी राजा येभ्यो विश्वं बिभाय तान् रक्षसो हन्ति यद्यः पर्जन्यः स्तनयन्महावधाद् भुवनं वर्षयति यथा चाऽनागा वृष्ण्यावत ईषत उत दुष्कृतो हन्ति तथैव मनुष्या वर्त्तन्ताम् ॥२॥

Word-Meaning: - (वि) (वृक्षान्) छेत्तुमर्हान् (हन्ति) (उत) अपि (हन्ति) (रक्षसः) दुष्टाचारान् (विश्वम्) (बिभाय) बिभेति (भुवनम्) उदकम्। भुवनमित्युदकनामसु पठितम्। (निघं०१.१२) (महावधात्) महतो हननात् (उत) (अनागाः) न विद्यत आगोऽपराधो यस्मिन् (ईषते) हिनस्ति (वृष्ण्यावतः) वृष्ण्यानि वर्षितुं योग्यान्यभ्राणि विद्यन्ते येषु तान् (यत्) यः (पर्जन्यः) (स्तनयन्) शब्दयन् (हन्ति) (दुष्कृतः) दुष्टाचारान् ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । ये मनुष्याः पालनीयान् पालयन्ति हन्तव्यान् घ्नन्ति ते राजसत्तावन्तो जायन्ते ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माणसे पालन करण्यायोग्यांचे पालन करतात व नाश करण्यायोग्य असणाऱ्यांचा नाश करतात. त्यांना राजसत्ता मिळते. ॥ २ ॥