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य इ॒मा विश्वा॑ जा॒तान्या॑श्रा॒वय॑ति॒ श्लोके॑न। प्र च॑ सु॒वाति॑ सवि॒ता ॥९॥

English Transliteration

ya imā viśvā jātāny āśrāvayati ślokena | pra ca suvāti savitā ||

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Pad Path

यः। इ॒मा। विश्वा॑। जा॒तानि॑। आ॒ऽश्र॒वय॑ति। श्लोके॑न। प्र। च॒। सु॒वाति॑। स॒वि॒ता ॥९॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:82» Mantra:9 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:26» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यों से कौन परम गुरु माना जाता है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (श्लोकेन) वाणी से (इमा) इन (विश्वा) सम्पूर्ण प्रज्ञानों और (जातानि) उत्पन्न हुओं को (आश्रावयति) सब प्रकार से सुनाता है वह (च) और (सविता) प्रेरणा करनेवाला हम लोगों को (प्र, सुवाति) प्रेरणा करे ॥९॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो जगदीश्वर वेद के द्वारा मनुष्यों के लिये सम्पूर्ण विद्याओं का उपदेश करता है, वही परमगुरु मानने योग्य है ॥९॥ इस सूक्त में ईश्वर और विद्वानों के गुणों का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की इस से पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह बयासीवाँ सूक्त और छब्बीसवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यैः कः परमगुरुर्मन्यत इत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यः श्लोकेनेमा विश्वा जातान्याश्रावयति स च सविताऽस्मान् प्र सुवाति ॥९॥

Word-Meaning: - (यः) (इमा) इमानि (विश्वा) सर्वाणि प्रज्ञानानि (जातानि) (आश्रावयति) (श्लोकेन) वाचा। श्लोक इति वाङ्नामसु पठितम्। (निघं०१.११) (प्र) (च) (सुवाति) प्रेरयेत् (सविता) प्रेरकः ॥९॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यो जगदीश्वरो वेदद्वारा मनुष्येभ्यः सर्वा विद्या उपदिशति स एव परमगुरुर्मन्तव्यः ॥९॥ अत्रेश्वरविद्वद्गुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इति द्व्यशीतितमं सूक्तं षड्विंशो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जो जगदीश्वर वेदाद्वारे माणसांसाठी संपूर्ण विद्यांचा उपदेश करतो तोच परमगुरू मानण्यायोग्य आहे. ॥ ९ ॥