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य इ॒मे उ॒भे अह॑नी पु॒र एत्यप्र॑युच्छन्। स्वा॒धीर्दे॒वः स॑वि॒ता ॥८॥

English Transliteration

ya ime ubhe ahanī pura ety aprayucchan | svādhīr devaḥ savitā ||

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Pad Path

यः। इ॒मे । उ॒भे इति॑। अह॑नी॒ इति॑। पु॒रः। एति॑। अप्र॑ऽयुच्छन्। सु॒ऽआ॒धीः। दे॒वः। स॒वि॒ता ॥८॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:82» Mantra:8 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:26» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य कैसा वर्त्ताव करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (यः) जो (अप्रयुच्छन्) प्रमाद को नहीं करता हुआ मनुष्य जैसे (स्वाधीः) उत्तम प्रकार स्थापन किया जाता है जिससे वह (देवः) प्रकाशमान (सविता) श्रेष्ठ कर्म्मों में प्रेरणा करनेवाला सत्य में वर्त्तमान है, वैसे (इमे) इन (उभे) दोनों (अहनी) रात्रि और दिनों को सत्य से (पुरः) आगे (एति) प्राप्त होता है, वही भाग्यशाली होता है ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । जैसे परमेश्वर अपने नियमों की यथायोग्य रक्षा करता है, वैसे ही मनुष्य भी श्रेष्ठ नियमों की यथावत् रक्षा करें ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः कथं वर्त्तितव्यमित्याह ॥

Anvay:

योऽप्रयुच्छन् मनुष्यो यथा स्वाधीर्देवः सविता सत्ये वर्त्तते तथेमे उभे अहनी सत्येन पुर एति स एव भाग्यशाली भवति ॥८॥

Word-Meaning: - (यः) (इमे) (उभे) (अहनी) रात्रिदिने (पुरः) (एति) प्राप्नोति (अप्रयुच्छन्) प्रमादमकुर्वन् (स्वाधीः) सुष्ठ्वाधीयते येन सः (देवः) द्योतमानः (सविता) सत्कर्मसु प्रेरकः ॥८॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । यथा परमेश्वरः स्वकीयान्नियमान् यथावद्रक्षति तथैव मनुष्या अपि सुनियमान् यथावद्रक्षन्तु ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा परमेश्वर स्वतःच्या नियमांचे यथायोग्य रक्षण करतो. तसेच माणसांनीही श्रेष्ठ नियमांचे यथायोग्य रक्षण करावे. ॥ ८ ॥