ऐषु॑ धा वी॒रव॒द्यश॒ उषो॑ मघोनि सू॒रिषु॑। ये नो॒ राधां॒स्यह्र॑या म॒घवा॑नो॒ अरा॑सत॒ सुजा॑ते॒ अश्व॑सूनृते ॥६॥
aiṣu dhā vīravad yaśa uṣo maghoni sūriṣu | ye no rādhāṁsy ahrayā maghavāno arāsata sujāte aśvasūnṛte ||
आ। ए॒षु॒। धाः॒। वी॒रऽव॑त्। यशः॑। उषः॑। म॒घो॒नि॒। सू॒रिषु॑। ये। नः॒। राधां॑सि। अह्र॑या। म॒घऽवा॑नः। अरा॑सत। सुऽजा॑ते। अश्व॑ऽसूनृते ॥६॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे अश्वसूनृते सुजाते मघोन्युषर्वद्वर्त्तमान उत्तमे स्त्रि ! त्वमेषु सूरिषु वीरवद्यश आ धाः। ये मघवानो नोऽह्रया राधांस्यरासत तांस्त्वं सत्कुर्य्याः ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
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