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दश॒ मासा॑ञ्छशया॒नः कु॑मा॒रो अधि॑ मा॒तरि॑। नि॒रैतु॑ जी॒वो अक्ष॑तो जी॒वो जीव॑न्त्या॒ अधि॑ ॥९॥

English Transliteration

daśa māsāñ chaśayānaḥ kumāro adhi mātari | niraitu jīvo akṣato jīvo jīvantyā adhi ||

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Pad Path

दश॑। मासा॑न्। श॒श॒या॒नः। कु॒मा॒रः। अधि॑। मा॒तरि॑। निः॒ऐतु॑। जी॒वः। अक्ष॑तः। जी॒वः। जीव॑न्त्याः। अधि॑ ॥९॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:78» Mantra:9 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:20» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (जीवः) प्राण आदि का धारण करनेवाला (अधि) ऊपर (मातरि) माता में (दश) दश (मासान्) महीनों तक (शशयानः) शयन करता हुआ (अक्षतः) घाव से रहित (कुमारः) बालक (निरैतु) निकले वह (जीवः) जीव (जीवन्त्याः) जीवती हुई के (अधि) ऊपर जीवता है ॥९॥
Connotation: - वे ही सन्तान उत्तम होते हैं कि जो दश महीने पूर्ण हों, जबतक तबतक गर्भ में स्थित होकर प्रकट होते हैं ॥९॥ इस सूक्त में अश्विपदवाच्य स्त्रीपुरुष के गुणों का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की इस से पिछले सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह अठहत्तरवाँ सूक्त और बीसवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो जीवोऽधि मातरि दश मासाञ्छशयानोऽक्षतः कुमारो निरैतु स जीवो जीवन्त्या अधि जीवति ॥९॥

Word-Meaning: - (दश) (मासान्) (शशयानः) कृतशयनः (कुमारः) (अधि) उपरि (मातरि) (निरैतु) निर्गच्छतु (जीवः) यः प्राणान् धरति (अक्षतः) क्षतवर्जितः (जीवः) (जीवन्त्याः) (अधि) ॥९॥
Connotation: - त एव सन्ताना उत्तमा भवन्ति ये दश मासा यावत्तावद् गर्भे स्थित्वा जायन्ते ॥९॥ अत्राश्विस्त्रीपुरुषगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इत्यष्टसप्ततितमं सूक्तं विंशो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी दहा महिने पूर्ण होईपर्यंत गर्भात स्थित राहून जन्मतात तीच संताने उत्तम असतात. ॥ ९ ॥