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वि जि॑हीष्व वनस्पते॒ योनिः॒ सूष्य॑न्त्याइव। श्रु॒तं मे॑ अश्विना॒ हवं॑ स॒प्तव॑ध्रिं च मुञ्चतम् ॥५॥

English Transliteration

vi jihīṣva vanaspate yoniḥ sūṣyantyā iva | śrutam me aśvinā havaṁ saptavadhriṁ ca muñcatam ||

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Pad Path

वि। जि॒ही॒ष्व॒। व॒न॒स्प॒ते॒। योनिः॑। सूष्य॑न्त्याःऽइव। श्रु॒तम्। मे॒। अ॒श्वि॒ना॒। हव॑म्। स॒प्तऽव॑ध्रिम्। च॒। मु॒ञ्च॒त॒म् ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:78» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:20» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अश्विना) विद्या से व्याप्त अध्यापक और परीक्षकजनो ! (मे) मेरे (हवम्) शब्द को (श्रुतम्) श्रवण को और (सप्तवध्रिम्) नष्ट हुए सात इन्द्रिय जिसके उसका (च) और (मुञ्चतम्) त्याग करो और (वनस्पते) हे वनस्पति ! (सूष्यन्त्याइव) गर्भवती स्त्री के सदृश (योनिः) कारण आप (वि) विशेष करके (जिहीष्व) त्याग करो ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । आप लोग यथार्थवक्ता अध्यापक और उपदेशकों की इच्छा करिये और जैसे गर्भवती स्त्री बालक का त्याग करती है, वैसे ही अन्तःकरणः से अविद्या को दूर करिये ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अश्विना ! मे हवं श्रुतं सप्तवध्रिं च मुञ्चतम्। हे वनस्पते ! सूष्यन्त्याइव योनिस्त्वं वि जिहीष्व ॥५॥

Word-Meaning: - (वि) (जिहीष्व) त्यज (वनस्पते) (योनिः) कारणम् (सूष्यन्त्याइव) प्रसवन्त्याः स्त्रिया इव (श्रुतम्) (मे) मम (अश्विना) विद्याव्यापिनावध्यापकपरीक्षकौ (हवम्) (सप्तवध्रिम्) हतसप्तेन्द्रियम् (च) (मुञ्चतम्) ॥५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । यूयमाप्तानध्यापकोपदेशकानिच्छत तथा प्रसववती स्त्री बालकं त्यजति तथैवान्तःकरणादविद्या दूरतोऽस्यत ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. तुम्ही विद्वान अध्यापक व उपदेशकाची इच्छा बाळगा. जशी गर्भवती स्त्री (प्रसूती झाल्यावर) बालकाचा त्याग करते तशी अंतःकरणातून अविद्या दूर करा. ॥ ५ ॥