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तदू॒ षु वा॑मे॒ना कृ॒तं विश्वा॒ यद्वा॒मनु॒ ष्टवे॑। नाना॑ जा॒ताव॑रे॒पसा॒ सम॒स्मे बन्धु॒मेय॑थुः ॥४॥

English Transliteration

tad ū ṣu vām enā kṛtaṁ viśvā yad vām anu ṣṭave | nānā jātāv arepasā sam asme bandhum eyathuḥ ||

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Pad Path

तत्। ऊँ॒ इति॑। सु। वा॒म्। ए॒ना। कृ॒तम्। विश्वा॑। यत्। वा॒म्। अनु॑। स्तवे॑। नाना॑। जा॒तौ। अ॒रे॒पसा॑। सम्। अ॒स्मे इति॑। बन्धु॑म्। आ। ई॒य॒थुः॒ ॥४॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:73» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:11» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य क्या विशेष जानें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे अध्यापक और उपदेशक जनो ! (यत्) जो आप दोनों ने (कृतम्) सिद्ध किया (तत्) उन (एना) इन (विश्वा) संपूर्णों की मैं (अनु, स्तवे) स्तुति करता हूँ और जो (अरेपसा) अपराधरहित (नाना) अनेक प्रकार (जातौ) प्रकट (वाम्) आप दोनों प्राप्त होते हैं वह =आप दोनों (अस्मे) हम लोगों के (बन्धुम्) बन्धु को (सम्, आ, ईयथुः) प्राप्त हूजिये (उ) और उसको मैं (वाम्) आप दोनों की (सु) उत्तम प्रकार प्रेरणा करूँ ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जैसे मैं वायु और बिजुली की विद्या को जानूँ, वैसे ही आप लोग भी जानिये ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः किं विजानीयुरित्याह ॥

Anvay:

हे अध्यापकोपदेशकौ ! यद्युवाभ्यां कृतं तदेना विश्वाहमनुष्टवे यावरेपसा नाना जातौ वां प्राप्नुथ[स्]तावस्मे बन्धुं समेयथुस्तदु अहं वां सुप्रेरयेयम् ॥४॥

Word-Meaning: - (तत्) (उ) (सु) (वाम्) युवाम् (एना) एनानि (कृतम्) निष्पादितम् (विश्वा) सर्वाणि (यत्) यानि (वाम्) युवाम् (अनु) (स्तवे) स्तौमि (नाना) (जातौ) प्रकटौ (अरेपसा) अनपराधिनौ (सम्) (अस्मे) अस्माकम् (बन्धुम्) (आ) (ईयथुः) प्राप्नुयातम्। अत्र पुरुषव्यत्ययः ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यथाहं वायुविद्युद्विद्यां जानीयां तथैव यूयमपि विजानीत ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जशी मी वायू व विद्या जाणतो. तशीच तुम्हीही जाणा. ॥ ४ ॥