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आ नो॑ गन्तं रिशादसा॒ वरु॑ण॒ मित्र॑ ब॒र्हणा॑। उपे॒मं चारु॑मध्व॒रम् ॥१॥

English Transliteration

ā no gantaṁ riśādasā varuṇa mitra barhaṇā | upemaṁ cārum adhvaram ||

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Pad Path

आ। नः॒। ग॒न्त॒म्। रि॒शा॒द॒सा॒। वरु॑ण। मित्र॑। ब॒र्हणा॑। उप॑। इ॒मम्। चारु॑म्। अ॒ध्व॒रम् ॥१॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:71» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:9» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब तीन ऋचावाले एकहत्तरवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में फिर अध्यापक और उपदेशक क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (रिशादसा) दुष्टों के मारनेवाले (वरुण) श्रेष्ठ और (मित्र) मित्र ! (बर्हणा) बढ़ानेवाले आप दोनों (इमम्) इस (नः) हम लोगों के (चारुम्) सुन्दर (अध्वरम्) यज्ञ के (उप) समीप (आ) सब प्रकार से (गन्तम्) प्राप्त होओ ॥१॥
Connotation: - जो विद्वान् जन व्यवहार नामक यज्ञ को करें तो हम लोगों की उन्नति के लिये समर्थ हों ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरध्यापकोपदेशकौ किं कुर्य्यातामित्याह ॥

Anvay:

हे रिशादसा वरुण मित्र ! बर्हणा युवामिमं नश्चारुमध्वरमुपागन्तम् ॥१॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (नः) अस्माकम् (गन्तम्) गच्छतम् (रिशादसा) दुष्टहिंसकौ (वरुण) श्रेष्ठ (मित्र) सुहृत् (बर्हणा) वर्धकौ (उप) (इमम्) (चारुम्) सुन्दरम् (अध्वरम्) यज्ञम् ॥१॥
Connotation: - यदि विद्वांसौ व्यवहाराख्यं यज्ञमकरिष्यंस्तर्ह्यस्माकमुन्नतये प्रभवोऽभविष्यन् ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात मित्र, श्रेष्ठ व विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्वसूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे विद्वान लोक व्यवहाररूपी यज्ञ करतात ते आमच्या उन्नतीसाठी समर्थ व्हावेत. ॥ १ ॥