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कुत्रा॑ चि॒द्यस्य॒ समृ॑तौ र॒ण्वा नरो॑ नृ॒षद॑ने। अर्ह॑न्तश्चि॒द्यमि॑न्ध॒ते सं॑ज॒नय॑न्ति ज॒न्तवः॑ ॥२॥

English Transliteration

kutrā cid yasya samṛtau raṇvā naro nṛṣadane | arhantaś cid yam indhate saṁjanayanti jantavaḥ ||

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Pad Path

कुत्र॑। चि॒त्। यस्य॑। सम्ऽऋ॑तौ। र॒ण्वाः। नरः॑। नृ॒ऽसद॑ने। अर्ह॑न्तः। चि॒त्। यम्। इ॒न्ध॒ते। सम्ऽज॒नय॑न्ति। ज॒न्तवः॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:7» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:8» Varga:24» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:1» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (नरः) नायक अर्थात् कार्य्यों में अग्रगामी मुख्यजनो ! जो (जन्तवः) जीव (यस्य) जिसकी (समृतौ) अच्छे प्रकार यथार्थ बोध से युक्त बुद्धि में (रण्वाः) रमण करते और (नृषदने) मनुष्यों के स्थान में (चित्) भी (अर्हन्तः) सत्कार करते हुए (यम्) जिसको (इन्धते) अच्छे प्रकार प्रकाशित कराते और (सञ्जनयन्ति) उत्तम प्रकार उत्पन्न कराते हैं, वे (चित्) भी (कुत्रा) किसी में अनादर को नहीं प्राप्त होते हैं ॥२॥
Connotation: - जो जीव सब मनुष्यों के हित में वर्त्तमान हुए यथाशक्ति परोपकार करते हैं, वे योग्य हैं ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे नरो ये जन्तवो यस्य समृतौ रण्वा नृषदने चिदर्हन्तो यं समिन्धते सञ्जनयन्ति ते चित्कुत्रापि तिरस्कारं नाप्नुवन्ति ॥२॥

Word-Meaning: - (कुत्रा) कस्मिन्। अत्र ऋचि तुनुघेति दीर्घः। (चित्) (यस्य) (समृतौ) सम्यग् यथार्थबोधयुक्तायां प्रज्ञायाम् (रण्वाः) रममाणाः (नरः) नायकाः (नृषदने) नृणां स्थाने (अर्हन्तः) सत्कुर्वन्तः (चित्) (यम्) (इन्धते) प्रकाशयन्ति (सञ्जनयन्ति) (जन्तवः) जीवाः ॥२॥
Connotation: - ये जीवाः सर्वेषां मनुष्याणां हिते वर्त्तमाना यथाशक्ति परोपकारं कुर्वन्ति ते योग्याः सन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे लोक सर्व माणसांच्या हितासाठी यथाशक्ती परोपकार करतात ते योग्य व्यवहार करतात. ॥ २ ॥