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त्री रो॑च॒ना व॑रुण॒ त्रीँरु॒त द्यून्त्रीणि॑ मित्र धारयथो॒ रजां॑सि। वा॒वृ॒धा॒नाव॒मतिं॑ क्ष॒त्रिय॒स्यानु॑ व्र॒तं रक्ष॑माणावजु॒र्यम् ॥१॥

English Transliteration

trī rocanā varuṇa trīm̐r uta dyūn trīṇi mitra dhārayatho rajāṁsi | vāvṛdhānāv amatiṁ kṣatriyasyānu vrataṁ rakṣamāṇāv ajuryam ||

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Pad Path

त्री। रो॒च॒ना। व॒रु॒ण॒। त्रीन्। उ॒त। द्यून्। त्रीणि॑। मि॒त्र॒। धा॒र॒य॒थः॒। रजां॑सि। व॒वृ॒धा॒नौ। अ॒मति॑म्। क्ष॒त्रिय॑स्य। अनु॑। व्र॒तम्। रक्ष॑माणौ। अ॒जु॒र्यम् ॥१॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:69» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:7» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब चार ऋचावाले उनहत्तरवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में इस संसार में मनुष्यों को क्या जान कर क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मित्र) प्राणवायु के और (वरुण) उदानवायु के सदृश वर्त्तमान ! जैसे प्राण और उदानवायु वा (त्री) तीन अर्थात् भूमि, बिजुली और सूर्य्य रूप अग्नि जो (रोचना) प्रकाश होने योग्य उनको और (त्रीन्) तीन (द्यून्) प्रकाशों (उत) और (त्रीणि) प्रकाशित होने योग्य (रजांसि) लोकों को (वावृधानौ) बढ़ाते हुए (क्षत्रियस्य) राजपूत राजा के (अमतिम्) रूप को और (अजुर्य्यम्) नहीं जीर्ण हुए (अनु, व्रतम्) कर्म वा स्वभाव को (रक्षमाणौ) रक्षा करते हुए धारण करते हैं, वैसे इन दोनों को आप दोनों (धारयथः) धारण करते हैं ॥१॥
Connotation: - इस संसार में तीन प्रकार का प्रकाश है-एक सूर्य का, दूसरा बिजुली का, तीसरा पृथिवी में वर्त्तमान अग्नि का उन तीनों को जो क्षत्रिय आदि जानें, वे अक्षय राज्य करने को समर्थ होवें ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अत्र मनुष्यैः किं विज्ञाय किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मित्र वरुण ! यथा प्राणोदानौ त्री रोचना त्रीन् द्यूनुत त्रीणि प्रकाशनीयानि रजांसि वावृधानौ सन्तौ क्षत्रियस्यामतिमजुर्य्यमनु व्रतं रक्षमाणौ सन्तौ धारयतस्तथैतो युवां धारयथः ॥१॥

Word-Meaning: - (त्री) त्रीणि भौमविद्युत्सूर्यादीनि (रोचना) प्रकाशनानि (वरुण) उदान इव वर्त्तमान (त्रीन्) (उत) (द्यून्) प्रकाशान् (त्रीणि) प्रकाशनीयानि (मित्र) प्राण इव (धारयथः) (रजांसि) लोकान् (वावृधानौ) वर्धमानौ (अमतिम्) रूपम् (क्षत्रियस्य) क्षत्रापत्यस्य राज्ञः (अनु) (व्रतम्) कर्म शीलं वा (रक्षमाणौ) (अजुर्य्यम्) अजीर्णम् ॥१॥
Connotation: - अस्मिञ्जगति त्रिविधा दीप्तिर्वर्त्तत एका सूर्य्यस्य, द्वितीया विद्युतस्तृतीया भूमिस्थस्याग्नेस्ताः सर्वा ये क्षत्रियादयो जानीयुस्तेऽक्षयं राज्यं कर्त्तुं शक्नुयुः ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात प्राण, उदान विद्युतच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्वीच्या सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या जगात तीन प्रकारचा प्रकाश असतो. एक सूर्य, दुसरा विद्युत, तिसरा पृथ्वीत असलेला अग्नी. या तिन्हींना जे क्षत्रिय जाणतात ते अक्षय राज्य करण्यास समर्थ होऊ शकतात. ॥ १ ॥