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ता नः॑ शक्तं॒ पार्थि॑वस्य म॒हो रा॒यो दि॒व्यस्य॑। महि॑ वां क्ष॒त्रं दे॒वेषु॑ ॥३॥

English Transliteration

tā naḥ śaktam pārthivasya maho rāyo divyasya | mahi vāṁ kṣatraṁ deveṣu ||

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Pad Path

ता। नः॒। श॒क्त॒म्। पार्थि॑वस्य। म॒हः। रा॒यः। दि॒व्यस्य॑। महि॑। वा॒म्। क्ष॒त्रम्। दे॒वेषु॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:68» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:6» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राज्य कैसे उन्नति को प्राप्त करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (नः) हम लोगों के सम्बन्ध में (पार्थिवस्य) पृथिवी में विदित (महः) बड़े (रायः) धन के और (दिव्यस्य) शुद्ध व्यवहार में हुए का (शक्तम्) समर्थ, जिन (वाम्) आप दोनों का (देवेषु) सत्य विद्या को प्राप्त हुओं में (महि) बड़ा (क्षत्रम्) राज्य वा धन वर्त्तमान है (ता) उन आप दोनों का हम लोग सत्कार करें ॥३॥
Connotation: - हे राजपुरुषो ! आप लोग जो अपने राज्य वा विद्वानों से रक्षा करें तो वह पृथिवी में विदित हुआ समर्थ होवे ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राज्यं कथमुन्नेयमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! [यो] नः पार्थिवस्य महो रायो दिव्यस्य शक्तं ययोर्वां देवेषु महि क्षत्रं वर्त्तते ता युवां वयं सत्कुर्य्याम ॥३॥

Word-Meaning: - (ता) तौ (नः) अस्माकम् (शक्तम्) समर्थम् (पार्थिवस्य) पृथिव्यां विदितस्य (महः) महतः (रायः) धनस्य (दिव्यस्य) दिवि शुद्धे व्यवहारे भवस्य (महि) महत् (वाम्) युवयोः (क्षत्रम्) राज्यं धन वा (देवेषु) सत्यविद्यां प्राप्तेषु ॥३॥
Connotation: - हे राजपुरुषा ! युष्माभिर्यदि स्वं राज्यं विद्वद्भी रक्ष्येत तर्हि तत्पृथिव्यां विदितं समर्थं जायेत ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजपुरुषांनो! तुम्ही आपल्या राज्याच्या विद्वानांचे रक्षण केल्यास पृथ्वीवर प्रसिद्ध होऊन समर्थ व्हाल. ॥ ३ ॥