ता नः॑ शक्तं॒ पार्थि॑वस्य म॒हो रा॒यो दि॒व्यस्य॑। महि॑ वां क्ष॒त्रं दे॒वेषु॑ ॥३॥
tā naḥ śaktam pārthivasya maho rāyo divyasya | mahi vāṁ kṣatraṁ deveṣu ||
ता। नः॒। श॒क्त॒म्। पार्थि॑वस्य। म॒हः। रा॒यः। दि॒व्यस्य॑। महि॑। वा॒म्। क्ष॒त्रम्। दे॒वेषु॑ ॥३॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर राज्य कैसे उन्नति को प्राप्त करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुना राज्यं कथमुन्नेयमित्याह ॥
हे मनुष्या ! [यो] नः पार्थिवस्य महो रायो दिव्यस्य शक्तं ययोर्वां देवेषु महि क्षत्रं वर्त्तते ता युवां वयं सत्कुर्य्याम ॥३॥
MATA SAVITA JOSHI
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