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ता वा॒मेषे॒ रथा॑नामु॒र्वीं गव्यू॑तिमेषाम्। रा॒तह॑व्यस्य सुष्टु॒तिं द॒धृक्स्तोमै॑र्मनामहे ॥३॥

English Transliteration

tā vām eṣe rathānām urvīṁ gavyūtim eṣām | rātahavyasya suṣṭutiṁ dadhṛk stomair manāmahe ||

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Pad Path

ता। वा॒म्। एषे॑। रथा॑नाम्। उ॒र्वीम्। गव्यू॑तिम्। ए॒षा॒म्। रा॒तऽह॑व्यस्य। सु॒ऽस्तु॒तिम्। द॒धृक्। स्तोमैः॑। म॒ना॒म॒हे॒ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:66» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:4» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे अध्यापक और उपदेशक जन ! आप दोनों (एषाम्) इन (रथानाम्) विमान आदि वाहनों का (रातहव्यस्य) दिया है देने योग्य पदार्थ जिसने उसको (सुष्टुतिम्) उत्तम प्रशंसा को और (गव्यूतिम्) मार्ग को (एषे) प्राप्त होने को प्रवृत्त होते हैं, और जैसे विद्वान् जन (स्तोमैः) प्रशंसाओं से इन की (उर्वीम्) पृथिवी को धारण करता है, वैसे (ता) उन (दधृक्) प्रगल्भता को प्राप्त (वाम्) आप दोनों को और उस विद्वान् को हम लोग (मनामहे) अच्छे प्रकार जानते हैं ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो जगत् के कल्याण के लिये सृष्टिक्रम से पदार्थविद्या को प्रकाशित करते हैं, वे धन्य होते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अध्यापकोपदेशकौ ! युवामेषां रथानां रातहव्यस्य सुष्टुतिं गव्यूतिमेषे प्रवर्त्तेथे यथा विद्वान् स्तोमैरेतेषामुर्वीं दधाति तथा ता दधृग् वां तं च वयं मनामहे ॥३॥

Word-Meaning: - (ता) तौ (वाम्) युवाम् (एषे) गन्तुम् (रथानाम्) विमानादियानानाम् (उर्वीम्) पृथिवीम् (गव्यूतिम्) मार्गम् (एषाम्) (रातहव्यस्य) दत्तदातव्यस्य (सुष्टुतिम्) शोभनां प्रशंसाम् (दधृक्) प्रागल्भ्यं प्राप्तौ (स्तोमैः) प्रशंसनैः (मनामहे) विजानीमः ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्या ! ये जगत्कल्याणाय सृष्टिक्रमेण पदार्थविद्यां प्रकाशयन्ति ते धन्या भवन्ति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जे जगाच्या कल्याणासाठी सृष्टिक्रमाला अनुसरून पदार्थविद्या प्रकट करतात ते धन्य होत. ॥ ३ ॥