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यु॒वाभ्यां॑ मित्रावरुणोप॒मं धे॑यामृ॒चा। यद्ध॒ क्षये॑ म॒घोनां॑ स्तोतॄ॒णां च॑ स्पू॒र्धसे॑ ॥४॥

English Transliteration

yuvābhyām mitrāvaruṇopamaṁ dheyām ṛcā | yad dha kṣaye maghonāṁ stotṝṇāṁ ca spūrdhase ||

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Pad Path

यु॒वाभ्या॑म्। मि॒त्रा॒व॒रु॒णा॒। उ॒प॒ऽमम्। धे॒या॒म्। ऋ॒चा। यत्। ह॒। क्षये॑। म॒घोना॑म्। स्तो॒तॄ॒णाम्। च॒। स्पू॒र्धसे॑ ॥४॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:64» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मित्रावरुणपदवाच्य विद्वानों के गुणों को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मित्रावरुणा) अध्यापक और उपदेशक जनो ! (युवाभ्याम्) आप दोनों से (ऋचा) स्तुति से (स्पूर्धसे) स्पर्धा के लिए (यत्) जिस (मघोनाम्) बहुत धनवालों के (स्तोतॄणाम्, च) और विद्वानों के (क्षये) गृह में (उपमम्) उपमा को जैसे मैं (धेयाम्) धारण करूँ, वैसे उसको (ह) निश्चय आप धारण करो ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। सब मनुष्यों को चाहिये कि विद्वानों की उपमा को ग्रहण करें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मित्रावरुणपदवाच्यविद्वद्गुणानाह ॥

Anvay:

हे मित्रावरुणा ! युवाभ्यामृचा स्पूर्धसे यन्मघोनां स्तोतॄणाञ्च क्षय उपमं यथाहं धेयां तथा तां ह युवां धरतम् ॥४॥

Word-Meaning: - (युवाभ्याम्) (मित्रावरुणा) अध्यापकोपदेशकौ (उपमम्) उपमाम् (धेयाम्) दध्याम् (ऋचा) स्तुत्या (यत्) याम् (ह) किल (क्षये) गृहे (मघोनाम्) बहुधनवताम् (स्तोतॄणाम्) विदुषाम् (च) (स्पूर्धसे) स्पर्धायै ॥४॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । सर्वैर्मनुष्यैर्विदुषामुपमा ग्राह्या ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. सर्व माणसांनी विद्वानांच्या उपमा स्वीकाराव्या. ॥ ४ ॥