उ॒त त्वा॒ स्त्री शशी॑यसी पुं॒सो भ॑वति॒ वस्य॑सी। अदे॑वत्रादरा॒धसः॑ ॥६॥
uta tvā strī śaśīyasī puṁso bhavati vasyasī | adevatrād arādhasaḥ ||
उ॒त। त्वा॒। स्त्री। शशी॑यसी। पुं॒सः। भ॒व॒ति॒। वस्य॑सी। अदे॑वऽत्रात्। अ॒रा॒धसः॑ ॥६॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर स्त्री के पुरुषार्थ उपदेश को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स्त्रीपुरुषार्थोपदेशमाह ॥
हे पुरुष ! या स्त्री अदेवत्रादराधसः पृथग्भूत्वा पुंसो वस्यस्युत शशीयसी भवति त्वा सुखयति तां त्वं सुखय ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
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