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ए॒तं मे॒ स्तोम॑मूर्म्ये दा॒र्भ्याय॒ परा॑ वह। गिरो॑ देवि र॒थीरि॑व ॥१७॥

English Transliteration

etam me stomam ūrmye dārbhyāya parā vaha | giro devi rathīr iva ||

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Pad Path

ए॒तम्। मे॒। स्तोम॑म्। ऊ॒र्म्ये॒। दा॒र्भ्याय॑। परा॑। व॒ह॒। गिरः॑। दे॒वि॒। र॒थीःऽइ॑व ॥१७॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:61» Mantra:17 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:29» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:17


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (देवि) प्रकाशमान विद्यायुक्त स्त्री ! (ऊर्म्ये) रात्रि के सदृश वर्त्तमान आप (मे) मेरी (एतम्) इस (स्तोमम्) प्रशंसा को सुनिये और (दार्भ्याय) विदारण करनेवालों में हुए के लिये वर्त्तमान को (परा, वह) दूर कीजिये तथा (रथीरिव) प्रशंसित रथवाला जैसे वैसे (गिरः) वाणियों को धारण कीजिये ॥१७॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जैसे प्राणियों के सुख के लिये रात्रि है, वैसे ही पति आदिकों के सुख के लिये श्रेष्ठ स्त्री होती है ॥१७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे देवि ! ऊर्म्ये रात्रिवद्वर्त्तमाने त्वं म एतं स्तोमं शृणु दार्भ्याय वर्त्तमानं परा वह रथीरिव गिर आवह ॥१७॥

Word-Meaning: - (एतम्) (मे) मम (स्तोमम्) श्लाघाम् (ऊर्म्ये) रात्रीव वर्त्तमाने (दार्भ्याय) दर्भेषु विदारकेषु भवाय (परा) (वह) (गिरः) वाणीः (देवि) देदीप्यमाने विदुषि (रथीरिव) प्रशंसितो रथवान् यथा ॥१७॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । यथा भूतानां सुखाय रात्री वर्त्तते तथैव पत्यादीनां सुखाय सत् स्त्री भवति ॥१७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जशी रात्र ही प्राण्यांच्या सुखासाठी असते. तसे श्रेष्ठ स्त्री पती इत्यादींना सुख देते. ॥ १७ ॥