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येषां॑ श्रि॒याधि॒ रोद॑सी वि॒भ्राज॑न्ते॒ रथे॒ष्वा। दि॒वि रु॒क्मइ॑वो॒परि॑ ॥१२॥

English Transliteration

yeṣāṁ śriyādhi rodasī vibhrājante ratheṣv ā | divi rukma ivopari ||

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Pad Path

येषा॑म्। श्रि॒या। अधि॑। रोद॑सी॒ इति॑। वि॒ऽभ्राज॑न्ते। रथे॑षु। आ। दि॒वि। रु॒क्मःऽइ॑व। उ॒परि॑ ॥१२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:61» Mantra:12 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:28» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उपदेश विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (येषाम्) जिन विद्वानों की (श्रिया) शोभा वा लक्ष्मी से, धर्मयुक्त व्यवहार (दिवि) कामना में (रुक्मइव) प्रीतिकारक सुवर्ण आदि पदार्थ जैसे वैसे (विभ्राजन्ते) शोभित होते हैं और जो (रथेषु) विमान आदि वाहनों में (आ, अधि) विराजित होवें वे (उपरि) ऊपर (रोदसी) अन्तरिक्ष और पृथिवी के सदृश प्रकाशित होते हैं ॥१२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जो धर्मयुक्त पुरुषार्थ से धन आदि को इकट्ठे करते हैं, वे सूर्य्य के किरणों के सदृश प्रकाशित यशवाले होते हैं ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरुपदेशविषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! येषां विदुषां श्रिया धर्म्या व्यवहारा दिवि रुक्मइव विभ्राजन्ते। ये रथेष्वाऽधिष्ठिता स्युस्त उपरि रोदसी इव प्रकाशन्ते ॥

Word-Meaning: - (येषाम्) (श्रिया) शोभया लक्ष्म्या वा (अधि) (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (विभ्राजन्ते) (रथेषु) विमानादियानेषु (आ) (दिवि) कामनायाम् (रुक्मइव) रुचिकरः सुवर्णादिपदार्थो यथा (उपरि) ॥१२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । ये धर्म्येण पुरुषार्थेन धनादिकं सञ्चिन्वन्ति ते सूर्य्यकिरणा इव प्रकाशितकीर्त्तयो भवन्ति ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे धर्माने पुरुषार्थ करून धन इत्यादीचा संग्रह करतात. त्यांची कीर्ती सूर्याच्या किरणांप्रमाणे पसरते. ॥ १२ ॥