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अ॒ज्ये॒ष्ठासो॒ अक॑निष्ठास ए॒ते सं भ्रात॑रो वावृधुः॒ सौभ॑गाय। युवा॑ पि॒ता स्वपा॑ रु॒द्र ए॑षां सु॒दुघा॒ पृश्निः॑ सु॒दिना॑ म॒रुद्भ्यः॑ ॥५॥

English Transliteration

ajyeṣṭhāso akaniṣṭhāsa ete sam bhrātaro vāvṛdhuḥ saubhagāya | yuvā pitā svapā rudra eṣāṁ sudughā pṛśniḥ sudinā marudbhyaḥ ||

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Pad Path

अ॒ज्ये॒ष्ठासः॑। अक॑निष्ठासः। ए॒ते। सम्। भ्रात॑रः। व॒वृ॒धुः॒। सौभ॑गाय। युवा॑। पि॒ता। सु॒ऽअपाः॑। रु॒द्रः। ए॒षा॒म्। सु॒ऽदुघा॑। पृश्निः॑। सु॒ऽदिना॑। म॒रुत्ऽभ्यः॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:60» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:25» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को कैसे होना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (स्वपाः) श्रेष्ठ कर्म का अनुष्ठान करनेवाला (युवा) युवावस्थायुक्त और (रुद्रः) अन्यों को रुलानेवाला (पिता) पालक जन और (एषाम्) इन की (सुदुघा) उत्तम प्रकार मनोरथ को पूर्ण करनेवाली (सुदिना) सुन्दर दिन जिससे वह (पृश्निः) अन्तरिक्ष के सदृश बुद्धि (मरुद्भ्यः) मनुष्यों के लिये विद्यादि दान देती है, वैसे (अज्येष्ठासः) जेठेपन से रहित (अकनिष्ठासः) कनिष्ठपन से रहित (एते) ये (भ्रातरः) बन्धु जन (सौभगाय) श्रेष्ठ ऐश्वर्य्य होने के लिये (सम्, वावृधुः) बढ़ते हैं ॥५॥
Connotation: - जो मनुष्य पूर्ण युवावस्था में विद्याओं को समाप्त कर और सुशीलता को स्वीकार कर बहुत ही उत्तम हुए उत्तम स्वभावयुक्त स्त्रियों को विवाह द्वारा स्वीकार करके प्रयत्न करते हैं, वे ऐश्वर्य्य को प्राप्त होकर आनन्दित होते हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः कथं भवितव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा स्वपा युवा रुद्रः पितैषां सुदुघा सुदिना पृश्निर्मरुद्भ्यो मनुष्येभ्यो विद्यादिदानं ददाति तथाऽज्येष्ठासोऽकनिष्ठास एते भ्रातरः सौभगाय सं वावृधृः ॥५॥

Word-Meaning: - (अज्येष्ठासः) ज्येष्ठभावरहिताः (अकनिष्ठासः) कनिष्ठभावमप्राप्ताः (एते) (सम्) (भ्रातरः) बन्धवः (वावृधुः) वर्धन्ते (सौभगाय) श्रेष्ठैश्वर्य्यस्य भावाय (युवा) (पिता) पालकः (स्वपाः) श्रेष्ठकर्मानुष्ठानः (रुद्रः) अन्येषां रोदयिता (एषाम्) (सुदुघा) सुष्ठु कामस्य प्रपूरिका (पृश्निः) अन्तरिक्षमिव बुद्धिः (सुदिना) उत्तमदिना (मरुद्भ्यः) वायुभ्यः ॥५॥
Connotation: - ये मनुष्याः पूर्णयुवावस्थायां विद्याः समाप्य सुशीलतां स्वीकृत्यातीवोत्तमाः सन्तः सुशीलाः स्त्रियः स्वीकृत्य च प्रयतन्ते त ऐश्वर्य्यं प्राप्यानन्दिता भवन्ति ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे युवावस्थेत विद्येचे अध्ययन करून सुशीलतेने अत्यंत उत्तम स्वभावाच्या स्त्रियांशी विवाह करतात ती प्रयत्न करून ऐश्वर्य प्राप्त करतात व आनंदित होतात. ॥ ५ ॥