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ह॒ये नरो॒ मरु॑तो मृ॒ळता॑ न॒स्तुवी॑मघासो॒ अमृ॑ता॒ ऋत॑ज्ञाः। सत्य॑श्रुतः॒ कव॑यो॒ युवा॑नो॒ बृह॑द्गिरयो बृ॒हदु॒क्षमा॑णाः ॥८॥

English Transliteration

haye naro maruto mṛḻatā nas tuvīmaghāso amṛtā ṛtajñāḥ | satyaśrutaḥ kavayo yuvāno bṛhadgirayo bṛhad ukṣamāṇāḥ ||

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Pad Path

ह॒ये। नरः॑। मरु॑तः। मृ॒ळत॑। नः॒। तुवि॑ऽमघासः। अमृ॑ताः। ऋत॑ऽज्ञाः। सत्य॑ऽश्रुतः। कव॑यः। युवा॑नः। बृह॑त्ऽगिरयः। बृ॒हत्। उ॒क्षमा॑णाः ॥८॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:58» Mantra:8 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:23» Mantra:8 | Mandal:5» Anuvak:5» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (हये) हे (नरः) नायक (मरुतः) जनो ! (तुवीमघासः) बहुत धनवान् (अमृताः) मोक्ष को प्राप्त हुए (सत्यश्रुतः) सत्य को यथार्थ सुनने और (ऋतज्ञाः) परमात्मा वा प्रकृति को जाननेवाले (युवानः) प्राप्त हुई अपने शरीर को यौवन अवस्था जिनको (बृहद्गिरयः) जिनके बड़े मेघों के सदृश उपकार करनेवाले गुण वे (बृहत्) महत् ब्रह्म का (उक्षमाणाः) सेवन करते हुए (कवयः) पूर्णविद्यावाले आप लोग (नः) हम लोगों को (मृळता) सुखी करिये ॥८॥
Connotation: - जो मनुष्य सम्पूर्ण सत्य विद्याओं को प्राप्त होकर यथार्थवक्ता, परमात्मा और उसकी आज्ञा का सेवन करते हुए महाशय पूर्ण शरीर और आत्मा के बल से युक्त अध्यापन और उपदेश से हम लोगों की वृद्धि करते हैं, वे ही सदा हम लोगों से सत्कार करने योग्य हैं ॥८॥ इस सूक्त में विद्वान् तथा वायु के गुण वर्णन करने से इस सूक्त के अर्थ की इस से पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह अट्ठावनवाँ सूक्त और तेईसवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हये नरो मरुतस्तुवीमघासोऽमृताः सत्यश्रुतः ऋतज्ञा युवानो बृहद्गिरयो बृहदुक्षमाणाः कवयो यूयं नो मृळता ॥८॥

Word-Meaning: - (हये) (नरः) नायकाः (मरुतः) मनुष्याः (मृळता) सुखयत। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (नः) अस्मान् (तुवीमघासः) बहुधनाः (अमृताः) प्राप्तमोक्षाः (ऋतज्ञाः) य ऋतं परमात्मानं प्रकृतिं वा जानन्ति (सत्यश्रुतः) ये सत्यं यथार्थं शृण्वन्ति ते (कवयः) पूर्णविद्याः (युवानः) प्राप्ताऽत्मशरीरयौवनाः (बृहद्गिरयः) बृहन्तो गिरयो मेघा इवोपकारका गुणा येषान्ते (बृहत्) महद् ब्रह्म (उक्षमाणाः) सेवमानाः ॥८॥
Connotation: - ये मनुष्याः सर्वसत्यविद्याः प्राप्याप्तं परमात्मानं तदाज्ञां च सेवमाना महाशयाः पूर्णशरीरात्मबला अध्यापनोपदेशाभ्यामस्मानुन्नयन्ति त एव सर्वदाऽस्माभिः सत्कर्त्तव्याः ॥८॥ अत्र विद्वद्वायुगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इत्यष्टपञ्चाशत्तमं सूक्तं त्रयोविंशो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे सर्व सत्यविद्या प्राप्त करून आप्त, विद्वान, परमेश्वराची आज्ञा पालन करतात ती पूर्ण शरीर व आत्मा यांच्या बलाने अध्यापन व उपदेश करून आमची उन्नती करतात. त्यांचा आम्ही सदैव सत्कार करावा. ॥ ८ ॥