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रथं॒ नु मारु॑तं व॒यं श्र॑व॒स्युमा हु॑वामहे। आ यस्मि॑न्त॒स्थौ सु॒रणा॑नि॒ बिभ्र॑ती॒ सचा॑ म॒रुत्सु॑ रोद॒सी ॥८॥

English Transliteration

rathaṁ nu mārutaṁ vayaṁ śravasyum ā huvāmahe | ā yasmin tasthau suraṇāni bibhratī sacā marutsu rodasī ||

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Pad Path

रथ॑म्। नु। मारु॑तम्। व॒यम्। श्र॒व॒स्युम्। आ। हु॒वा॒म॒हे॒। आ। यस्मि॑न्। त॒स्थौ। सु॒ऽरणा॑नि। बिभ्र॑ती। सचा॑। म॒रुत्ऽसु॑। रो॒द॒सी ॥८॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:56» Mantra:8 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:20» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वायुगुणों को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (यस्मिन्) जिसमें (सुरणानि) सुन्दर रमण करने योग्य पदार्थ हैं और वीर (आ) सब प्रकार से (तस्थौ) स्थिर हैं तथा जिसमें (मरुत्सु) पवनों में सुन्दर पदार्थों को (बिभ्रती) धारण करते हुए (सचा) सम्बन्ध रखनेवाले (रोदसी) पृथिवी और सूर्य्य वर्त्तमान हैं उस (मारुतम्) मनुष्य और वायुसम्बन्धी (श्रवस्युम्) अपनी श्रवण की इच्छा करनेवाले की और (रथम्) विमान आदि वाहन की (नु) शीघ्र (वयम्) हम लोग (आ, हुवामहे) स्पर्द्धा करें ॥८॥
Connotation: - जैसे पवन भूमि आदि को धारण करते हैं, वैसे ही विद्वान् जन सब मनुष्यों को धारण करें ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्वायुगुणानाह ॥

Anvay:

यस्मिन् सुरणानि सन्ति वीर आ तस्थौ यत्र मरुत्सु सुरणानि बिभ्रती सचा रोदसी वर्त्तेते तं मारुतं श्रवस्युं रथं नु वयमा हुवामहे ॥८॥

Word-Meaning: - (रथम्) विमानादियानम् (नु) सद्यः (मारुतम्) मनुष्यवायुसम्बन्धिनम् (वयम्) (श्रवस्युम्) आत्मनः श्रव इच्छुम् (आ) (हुवामहे) स्पर्धामहे (आ) (यस्मिन्) (तस्थौ) (सुरणानि) सुष्ठु रमणीयानि (बिभ्रती) धरन्त्यौ (सचा) सम्बुद्धौ (मरुत्सु) वायुषु (रोदसी) भूमिसूर्य्यौ ॥८॥
Connotation: - यथा वायवो भूम्यादिकं धरन्ति तथैव विद्वांसः सर्वान् मनुष्यान् धरन्तु ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसे वायू भूमीला आधार देतात तसेच विद्वान लोक सर्व माणसांना आधार देतात. ॥ ८ ॥