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न पर्व॑ता॒ न न॒द्यो॑ वरन्त वो॒ यत्राचि॑ध्वं मरुतो॒ गच्छ॒थेदु॒ तत्। उ॒त द्यावा॑पृथि॒वी या॑थना॒ परि॒ शुभं॑ या॒तामनु॒ रथा॑ अवृत्सत ॥७॥

English Transliteration

na parvatā na nadyo varanta vo yatrācidhvam maruto gacchathed u tat | uta dyāvāpṛthivī yāthanā pari śubhaṁ yātām anu rathā avṛtsata ||

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Pad Path

न। पर्व॑ताः। न। न॒द्यः॑। व॒र॒न्त॒। वः॒। यत्र॑। अचि॑ध्वम्। म॒रु॒तः॒। गच्छ॑थ। इत्। ऊँ॒ इति॑। तत्। उ॒त। द्यावा॑पृथि॒वी इति॑। या॒थ॒न॒। परि॑। शुभ॑म्। या॒ताम्। अनु॑। रथाः॑। अ॒वृ॒त्स॒त॒ ॥७॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:55» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:18» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मरुतः) मनुष्यो ! आप लोग (द्यावापृथिवी) प्रकाश और भूमि को (गच्छथ, इत्) प्राप्त ही हूजिये (तत्) उनको (उ) और भी (परि, याथना) सब ओर से प्राप्त हूजिये (उत) और (यत्र) जहाँ (अचिध्वम्) प्राप्त हूजिये और जैसे (शुभम्) कल्याण को (याताम्) प्राप्त होते हुओं के (रथाः) वाहन (अनु, अवृत्सत) पश्चात् वर्त्तमान हैं, यहाँ वर्त्तमान हूजिये और जैसे सूर्य्य के सम्बन्ध को (न) न (पर्वताः) मेघ (न) न (नद्यः) नदियाँ (वरन्त) वारण करती हैं, वैसे (वः) आप लोगों को कोई भी रोक नहीं सकते हैं ॥७॥
Connotation: - जो मनुष्य पृथिवी आदि की विद्या से तथा सृष्टि के क्रम से कार्य्यों को सिद्ध करें, उनको दारिद्र्य कभी प्राप्त नहीं होवे ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मरुतो ! यूयं द्यावापृथिवी गच्छथेत्तदु परि याथना। उत यत्राऽचिध्वं यथा शुभं यातां रथान्ववृत्सत तत्रानुवर्त्तध्वम् यथा सूर्य्यस्य न पर्वता न नद्यो वरन्त तथा वो युष्मान् केऽपि रोद्धुं न शक्नुवन्ति ॥७॥

Word-Meaning: - (न) निषेधे (पर्वताः) मेघाः (न) (नद्यः) (वरन्त) वारयन्ति (वः) (यत्र) (अचिध्वम्) प्राप्नुत गच्छथ (मरुतः) मनुष्याः (गच्छथ) (इत्) एव (उ) (तत्) (उत) अपि (द्यावापृथिवी) प्रकाशभूमी (याथना) प्राप्नुत। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (परि) सर्वतः (शुभम्) (याताम्) (अनु) (रथाः) (अवृत्सत) ॥७॥
Connotation: - ये मनुष्याः पृथिव्यादिविद्यया सृष्टिक्रमतः कार्य्याणि साधयेयुस्तान् दारिद्र्यं कदाचिन्नाप्नुयात् ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे पृथ्वी विद्या व सृष्टिक्रमानुसार कार्य करतात. ती कधी दरिद्री होत नाहीत. ॥ ७ ॥