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प्रय॑ज्यवो म॒रुतो॒ भ्राज॑दृष्टयो बृ॒हद्वयो॑ दधिरे रु॒क्मव॑क्षसः। ईय॑न्ते॒ अश्वैः॑ सु॒यमे॑भिरा॒शुभिः॒ शुभं॑ या॒तामनु॒ रथा॑ अवृत्सत ॥१॥

English Transliteration

prayajyavo maruto bhrājadṛṣṭayo bṛhad vayo dadhire rukmavakṣasaḥ | īyante aśvaiḥ suyamebhir āśubhiḥ śubhaṁ yātām anu rathā avṛtsata ||

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Pad Path

प्रऽय॑ज्यवः। म॒रुतः॑। भ्राज॑त्ऽऋष्टयः। बृ॒हत्। वयः॑। द॒धि॒रे। रु॒क्मऽव॑क्षसः। ईय॑न्ते। अश्वैः॑। सु॒ऽयमे॑भिः। आ॒शुऽभिः॑। शुभ॑म्। या॒ताम्। अनु॑। रथाः॑। अ॒वृ॒त्स॒त॒ ॥१॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:55» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:17» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब दश ऋचावाले पचपनवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में फिर मनुष्य कैसे वर्त्तें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जिन (अश्वैः) शीघ्र करने वा (आशुभिः) शीघ्र जानेवाले (सुयमेभिः) सुन्दर यम इन्द्रियनिग्रह आदि जिनके उन जनों से (शुभम्) धर्मयुक्त व्यवहार को (याताम्) प्राप्त होते हुओं के (रथाः) सुन्दर वाहन आदि (ईयन्ते) प्राप्त किये जाते हैं और (प्रयज्यवः) उत्तम मिलानेवाले मनुष्य (भ्राजदृष्टयः) शोभित होते हैं विज्ञान जिनके वे (रुक्मवक्षसः) सुवर्ण आदि से युक्त आभूषण वक्षःस्थलों पर जिनके वे (मरुतः) प्राणों के सदृश वर्त्तमान (बृहत्) बड़े (वयः) सुन्दर जीवन को (दधिरे) धारण करें और जो (अनु) पश्चात् (अवृत्सत) वर्त्तमान होते हैं, उनके साथ आप लोग भी इस प्रकार प्रयत्न कीजिये ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! आप लोग ब्रह्मचर्य आदि से अति काल पर्य्यन्त जीवनवाले योगी पुरुषार्थी होइये ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः कथं वर्त्तेरन्नित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यैरश्वैराशुभिः सुयमेभिर्जनैः शुभं यातां रथा ईयन्ते प्रयज्यवो भ्राजदृष्टयो रुक्मवक्षसो मरुतो बृहद्वयो दधिरे ये चान्ववृत्सत तैस्सह यूयमप्येवं प्रयतध्वम् ॥१॥

Word-Meaning: - (प्रयज्यवः) प्रकृष्टयज्यवः सङ्गन्तारो मनुष्याः (मरुतः) प्राणा इव वर्त्तमानाः (भ्राजदृष्टयः) भ्राजन्त ऋष्टयो विज्ञानानि येषान्ते (बृहत्) महत् (वयः) कमनीयं जीवनम् (दधिरे) दध्यासुः (रुक्मवक्षसः) रुक्माणि सुवर्णादियुक्तान्याभूषणानि [वक्षःसु] येषान्ते (ईयन्ते) प्राप्यन्ते (अश्वैः) आशुकारिभिः (सुयमेभिः) शोभना यमा येषु तैः (आशुभिः) सद्योऽभिगामिभिः (शुभम्) धर्म्यं व्यवहारम् (याताम्) गच्छताम् (अनु) (रथाः) रमणीया विमानादयः (अवृत्सत) वर्त्तन्ते ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्या ! भवन्तो ब्रह्मचर्य्यादिना चिरञ्जीविनो योगिनः पुरुषार्थिनः स्युः ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात मरुत नावाने विद्वानाच्या गुणांचे वर्णन करून या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्वसूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो! तुम्ही ब्रह्मचर्यर् इत्यादींनी दीर्घजीवी, योगी, पुरुषार्थी बना. ॥ १ ॥