न स जी॑यते मरुतो॒ न ह॑न्यते॒ न स्रे॑धति॒ न व्य॑थते॒ न रि॑ष्यति। नास्य॒ राय॒ उप॑ दस्यन्ति॒ नोतय॒ ऋषिं॑ वा॒ यं राजा॑नं वा॒ सुषू॑दथ ॥७॥
na sa jīyate maruto na hanyate na sredhati na vyathate na riṣyati | nāsya rāya upa dasyanti notaya ṛṣiṁ vā yaṁ rājānaṁ vā suṣūdatha ||
न। सः। जी॒य॒ते॒। म॒रु॒तः॒। न। ह॒न्य॒ते॒। न। स्रे॒ध॒ति॒। व्य॒थ॒ते॒। न। रि॒ष्य॒ति॒। न। अ॒स्य॒। रायः॑। उप॑। द॒स्य॒न्ति॒। न। ऊ॒तयः॑। ऋषि॑म्। वा॒। यम्। राजा॑नम्। वा॒। सुसू॑दथ ॥७॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब ईश्वर कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथेश्वरः कीदृशोऽस्तीत्युपदिश्यते ॥
हे मरुतो ! स न जीयते न हन्यते न स्रेधति न व्यथते न रिष्यति अस्य न रायो नोतय उप दस्यन्ति यमृषिं वा राजानं वा यूयं सुषूदथ ॥७॥
MATA SAVITA JOSHI
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