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मा वो॑ र॒सानि॑तभा॒ कुभा॒ क्रुमु॒र्मा वः॒ सिन्धु॒र्नि री॑रमत्। मा वः॒ परि॑ ष्ठात्स॒रयुः॑ पुरी॒षिण्य॒स्मे इत्सु॒म्नम॑स्तु वः ॥९॥

English Transliteration

mā vo rasānitabhā kubhā krumur mā vaḥ sindhur ni rīramat | mā vaḥ pari ṣṭhāt sarayuḥ purīṣiṇy asme it sumnam astu vaḥ ||

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Pad Path

मा। वः॒। र॒सा। अनि॑तभा। कुभा॑। क्रुमुः॑। मा। वः॒। सिन्धुः॑। नि। री॒र॒म॒त्। मा। वः॒। परि॑। स्था॒त्। स॒रयुः॑। पु॒री॒षिणी॑। अ॒स्मे इति॑। इत्। सु॒म्नम्। अ॒स्तु॒। वः॒ ॥९॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:53» Mantra:9 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:12» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वानों को क्या उपदेश देना योग्य है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (अनितभा) दीप्ति को न प्राप्त (कुभा) कुत्सित प्रकाशयुक्त (क्रुमुः) क्रमण करनेवाली (रसा) पृथिवी (मा) मत (वः) आप लोगों को (नि) अत्यन्त (रीरमत्) रमण करावे और (सिन्धुः) नदी वा समुद्र (मा) नहीं (वः) आप लोगों को निरन्तर रमण करावें तथा (सरयुः) चलनेवाला और (पुरीषिणी) पुरों की इच्छा करनेवाली (मा) मत (वः) आप लोगों को (परि, स्थात्) परिस्थित करावे अर्थात् मत आलसी बनावे जिससे (अस्मे) हम लोगों के लिये और (वः) आप लोगों के लिये (सुम्नम्) सुख (इत्) ही (अस्तु) हो ॥९॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि इस प्रकार का पुरुषार्थ करें कि जिस प्रकार सम्पूर्ण पदार्थ सुख देनेवाले होवें ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्भिः किमुपदेष्टव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! अनितभा कुभा क्रुमू रसा मा वो नि रीरमत् सिन्धुर्मा वो नि रीरमत्। सरयुः पुरीषिणी मा वः परि ष्ठाद्येनाऽस्मे वश्च सुम्नमिदस्तु ॥९॥

Word-Meaning: - (मा) निषेधे (वः) युष्मान् (रसा) पृथिवी (अनितभा) अप्राप्तदीप्तिः (कुभा) कुत्सितप्रकाशा (क्रुमुः) क्रमिता (मा) (वः) युष्मान् (सिन्धुः) नदी समुद्रो वा (नि) निरताम् (रीरमत्) रमयेत् (मा) (वः) युष्मान् (परि) (स्थात्) तिष्ठेत् (सरयुः) यः सरति (पुरीषिणी) पुर इषिणी (अस्मे) अस्मभ्यम् (इत्) एव (सुम्नम्) सुखम् (अस्तु) भवतु (वः) युष्मभ्यम् ॥९॥
Connotation: - मनुष्यैरेवं पुरुषार्थः कर्त्तव्यो यथा सर्वे पदार्थाः सुखप्रदाः स्युः ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी अशा प्रकारचा पुरुषार्थ करावा की ज्यामुळे संपूर्ण पदार्थ सुख देणारे असावेत. ॥ ९ ॥