येन॑ तो॒काय॒ तन॑याय धा॒न्यं१॒॑ बीजं॒ वह॑ध्वे॒ अक्षि॑तम्। अ॒स्मभ्यं॒ तद्ध॑त्तन॒ यद्व॒ ईम॑हे॒ राधो॑ वि॒श्वायु॒ सौभ॑गम् ॥१३॥
yena tokāya tanayāya dhānyam bījaṁ vahadhve akṣitam | asmabhyaṁ tad dhattana yad va īmahe rādho viśvāyu saubhagam ||
येन॑। तो॒काय॑। तन॑याय। धा॒न्य॑म्। बीज॑म्। वह॑ध्वे। अक्षि॑तम्। अ॒स्मभ्य॑म्। तत्। ध॒त्त॒न॒। यत्। वः॒। ईम॑हे। राधः॑। वि॒श्वऽआयु॑। सौभ॑गम् ॥१३॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥
हे मनुष्या ! येन तोकाय तनयायाक्षितं धान्यं बीजं च यूयं वहध्वे। यद्विश्वायु सौभगमक्षितं राधो वा ईमहे तदस्मभ्यं धत्तन ॥१३॥
MATA SAVITA JOSHI
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