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तं वः॒ शर्धं॒ रथा॑नां त्वे॒षं ग॒णं मारु॑तं॒ नव्य॑सीनाम्। अनु॒ प्र य॑न्ति वृ॒ष्टयः॑ ॥१०॥

English Transliteration

taṁ vaḥ śardhaṁ rathānāṁ tveṣaṁ gaṇam mārutaṁ navyasīnām | anu pra yanti vṛṣṭayaḥ ||

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Pad Path

तम्। वः॒। शर्ध॑म्। रथा॑नाम्। त्वे॒षम्। ग॒णम्। मारु॑तम्। नव्य॑सीनाम्। अनु॑। प्र। य॒न्ति॒। वृ॒ष्टयः॑ ॥१०॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:53» Mantra:10 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:12» Mantra:5 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन को मनुष्यों के अर्थ क्या इच्छा करनी चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जिस (रथानाम्) वाहनों और (नव्यसीनाम्) नवीनाओं के बीच (मारुतम्) मनुष्यों के सम्बन्धी (गणम्) समूह का और (त्वेषम्) सद्गुणों के प्रकाश का उपदेश करता हूँ और जिसको (वृष्टयः) वर्षायें (अनु, प्र, यन्ति) प्राप्त होती हैं (तम्) उस (शर्धम्) बल को (वः) आप लोगों के लिये प्राप्त करता हूँ ॥१०॥
Connotation: - जो विद्वानों की नवीन-नवीन नीति को प्राप्त होते हैं, वे बल को प्राप्त होते हैं ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विदुषा मनुष्यार्थं किमेष्टव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यं रथानां नव्यसीनां मारुतं गणं त्वेषमुपदिशामि यं वृष्टयोऽनु प्र यन्ति तं शर्धं वः प्रापयामि ॥१०॥

Word-Meaning: - (तम्) (वः) युष्मभ्यम् (शर्धम्) बलम् (रथानाम्) यानानाम् (त्वेषम्) सद्गुणप्रकाशम् (गणम्) (मारुतम्) मरुतां मनुष्याणामिदम् (नव्यसीनाम्) नवीनानाम् (अनु) (प्र) (यन्ति) प्राप्नुवन्ति (वृष्टयः) ॥१०॥
Connotation: - ये विदुषां नवीनां नवीनां नीतिं प्राप्नुवन्ति ते बलं लभन्ते ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वानांची नवी नवी नीती अनुसरतात त्यांना बल प्राप्त होते. ॥ १० ॥