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आ ग्राव॑भिरह॒न्ये॑भिर॒क्तुभि॒र्वरि॑ष्ठं॒ वज्र॒मा जि॑घर्ति मा॒यिनि॑। श॒तं वा॒ यस्य॑ प्र॒चर॒न्त्स्वे दमे॑ संव॒र्तय॑न्तो॒ वि च॑ वर्तय॒न्नहा॑ ॥३॥

English Transliteration

ā grāvabhir ahanyebhir aktubhir variṣṭhaṁ vajram ā jigharti māyini | śataṁ vā yasya pracaran sve dame saṁvartayanto vi ca vartayann ahā ||

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Pad Path

आ। ग्राव॑ऽभिः। अ॒॒ह॒न्ये॑भिः। अ॒क्तु॒ऽभिः॑। वरि॑ष्ठम्। वज्र॑म्। आ। जि॒घ॒र्ति॒। मा॒यिनि॑। श॒तम्। वा॒। यस्य॑। प्र॒ऽचर॑न्। स्वे। दमे॑। स॒म्ऽव॒र्तय॑न्तः। वि। च॒। व॒र्त॒य॒न्। अहा॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:48» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:2» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर स्त्री-पुरुष कैसा वर्त्ताव करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मायिनि) प्रशंसित बुद्धि से युक्त ! जिससे आप (ग्रावभिः) मेघों (अहन्येभिः) दिनों और (अक्तुभिः) रात्रियों से (वरिष्ठम्) अति श्रेष्ठ (वज्रम्) शस्त्रविशेष को (आ, जिघर्त्ति) प्रदीप्त करती हो (शतम्, वा) अथवा सैकड़ों का दल (यस्य) जिसके (स्वे) अपने (दमे) गृह में (प्रचरन्) चलता और (अहा) दिनों को (आ, वर्तयन्) अच्छे प्रकार व्यतीत करता हुआ व्यवहार को प्रकाशित करता है (च) और जिसकी (संवर्त्तयन्तः) उत्तम प्रकार वर्त्तमान किरणें (वि) विशेष फैलती हैं, उसको तू विशेष करके जान ॥३॥
Connotation: - जो स्त्री और पुरुष भयरहित हों तो सूर्य्य और बिजुली के सदृश दिन-रात्रि पुरुषार्थ को करके ऐश्वर्य्य से प्रकाशित हों ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स्त्रीपुरुषौ कथं वर्त्तेयातामित्याह ॥

Anvay:

हे मायिनि ! यतो भवती ग्रावभिरहन्येभिरक्तुभिर्वरिष्ठं वज्रमा जिघर्ति शतं वा यस्य स्वे दमे प्रचरन्नहाऽऽवर्तयन् व्यवहारमाजिघर्त्ति यस्य च संवर्त्तयन्तः किरणा वि चरन्ति तं त्वं जानीहि ॥३॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (ग्रावभिः) मेघैः (अहन्येभिः) दिनैः (अक्तुभिः) रात्रिभिः (वरिष्ठम्) अतिश्रेष्ठम् (वज्रम्) शस्त्रविशेषम् (आ) (जिघर्त्ति) (मायिनि) माया प्रशंसिता प्रज्ञा विद्यते यस्य तत्सम्बुद्धौ (शतम्) (वा) (यस्य) (प्रचरन्) (स्वे) स्वकीये (दमे) गृहे (संवर्त्तयन्तः) सम्यग्वर्त्तमानाः (वि) (च) (वर्तयन्) (अहा) अहानि ॥३॥
Connotation: - यदि स्त्रीपुरुषौ निर्भयौ भवेतां तर्हि सूर्य्यविद्युद्वदहर्निशं पुरुषार्थं कृत्वैश्वर्य्येण प्रकाशितौ भवेताम् ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जर स्त्री-पुरुष भयरहित असतील तर त्यांनी सूर्य व विद्युतप्रमाणे दिवस-रात्र पुरुषार्थ करून ऐश्वर्याने उन्नत व्हावे. ॥ ३ ॥