प्र॒यु॒ञ्ज॒ती दि॒व ए॑ति ब्रुवा॒णा म॒ही मा॒ता दु॑हि॒तुर्बो॒धय॑न्ती। आ॒विवा॑सन्ती युव॒तिर्म॑नी॒षा पि॒तृभ्य॒ आ सद॑ने॒ जोहु॑वाना ॥१॥
prayuñjatī diva eti bruvāṇā mahī mātā duhitur bodhayantī | āvivāsantī yuvatir manīṣā pitṛbhya ā sadane johuvānā ||
प्र॒ऽयु॒ञ्ज॒ती। दि॒वः। ए॒ति॒। ब्रु॒वा॒णा। म॒ही। मा॒ता। दु॒हि॒तुः। बो॒धय॑न्ती। आ॒ऽविवा॑सन्ती। यु॒व॒तिः। म॒नी॒षा। पि॒तृऽभ्यः॑। आ। सद॑ने। जोहु॑वाना ॥१॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब सात ऋचावाले सैंतालीसवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में स्त्री पुरुषों के गुणों को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ स्त्रीपुरुषगुणानाह ॥
या दिव उषा इव ब्रुवाणा प्रयुञ्जती दुहितुर्बोधयन्ती मही आविवासन्ती सदने जोहुवाना युवतिर्माता मनीषा पितृभ्यः प्राप्तशिक्षा गृहाश्रममैति सा मङ्गलकारिणी भवति ॥१॥
MATA SAVITA JOSHI
या सूक्तात स्त्री-पुरुष इत्यादींच्या गुणांचे वर्णन करण्याने या सूक्ताच्या अर्थाची या पूर्वीच्या सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.