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प्रैष स्तोमः॑ पृथि॒वीम॒न्तरि॑क्षं॒ वन॒स्पतीँ॒रोष॑धी रा॒ये अ॑श्याः। दे॒वोदे॑वः सु॒हवो॑ भूतु॒ मह्यं॒ मा नो॑ मा॒ता पृ॑थि॒वी दु॑र्म॒तौ धा॑त् ॥१६॥

English Transliteration

praiṣa stomaḥ pṛthivīm antarikṣaṁ vanaspatīm̐r oṣadhī rāye aśyāḥ | devo-devaḥ suhavo bhūtu mahyam mā no mātā pṛthivī durmatau dhāt ||

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Pad Path

प्र। ए॒षः। स्तोमः॑। पृ॒थि॒वीम्। अ॒न्तरि॑क्षम्। वन॒स्पती॑न्। ओष॑धीः। रा॒ये। अ॒श्याः॒। दे॒वःऽदे॑वः। सु॒ऽहवः॑। भू॒तु॒। मह्य॑म्। मा। नः॒। मा॒ता। पृ॒थि॒वी। दुः॒ऽम॒तौ। धा॒त् ॥१६॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:42» Mantra:16 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:19» Mantra:6 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:16


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वद्विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! (देवोदेवः) विद्वान् विद्वान् (सुहवः) उत्तम प्रकार ग्रहण करनेवाले और दाता आप और जो (एषः) यह (स्तोमः) प्रशंसा करने योग्य मेघ वा वह्नि (राये) धन के लिये (पृथिवीम्) भूमि (अन्तरिक्षम्) आकाश और (ओषधीः) यव आदि औषधियाँ तथा (वनस्पतीन्) वट और अश्वत्थ आदि वनस्पतियों को प्राप्त होता है उसको आप (प्र, अश्याः) अच्छे प्रकार प्राप्त हूजिये वह (मह्यम्) मेरे लिये सुखकारक (भूतु) होवे जिससे यह (पृथिवी) पृथिवी (माता) माता के सदृश पालन करनेवाली (नः) हम लोगों को (दुर्म्मतौ) दुष्टबुद्धि में (मा) नहीं (धात्) धारण करे ॥१६॥
Connotation: - सब स्त्री और पुरुष विद्वान् होकर बिजुली और मेघ आदि की विद्या को ग्रहण करें जिससे यह विद्या आप लोगों की माता के सदृश पालना करे और जैसे माता उत्तम शिक्षा से अपने सन्तानों को उत्तम करती है, वैसे ही मेघवृष्टिविद्या से युक्त भूमि उत्तम अन्न आदिकों को उत्पन्न करती है ॥१६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! देवोदेवस्सुहवस्त्वं य एषः स्तोमो राये पृथिवीमन्तरिक्षमोषधीर्वनस्पतींश्च प्राप्नोति तं त्वं प्राश्याः स मह्यं सुखकरो भूतु यत इयं पृथिवी मातेव नो दुर्म्मतौ मा धात् ॥१६॥

Word-Meaning: - (प्र) (एषः) (स्तोमः) श्लाघनीयो मेघो वह्निर्वा (पृथिवीम्) भूमिम् (अन्तरिक्षम्) आकाशम् (वनस्पतीन्) वटाऽश्वत्थादीन् (ओषधीः) यवाद्याः (राये) धनाय (अश्याः) प्राप्नुयाः (देवोदेवः) विद्वान्विद्वान् (सुहवः) सुष्ठुग्रहणदानः (भूतु) भवतु (मह्यम्) (मा) निषेधे (नः) अस्मान् (माता) जननीव पालिका (पृथिवी) (दुर्म्मतौ) दुष्टायाँ बुद्धौ (धात्) दध्यात् ॥१६॥
Connotation: - सर्वे स्त्रीपुरुषा विद्वांसो भूत्वा विद्युन्मेघादिविद्यां गृह्णीयुर्यत इयं युष्मान् मातृवत् पालयेद्यथा माता सुशिक्षया स्वसन्तानानुत्तमान् करोति तथैव मेघवृष्टिविद्यया युक्ता भूमिरुत्तमानि शस्यादीनि जनयति ॥१६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - सर्व स्त्री-पुरुषांनी विद्वान बनून विद्युत व मेघ इत्यादींची विद्या ग्रहण करावी. ज्यामुळे ही विद्या मातेप्रमाणे पालन करते. जशी माता उत्तम शिक्षणाने संतानांना उत्तम करते तसे मेघवृष्टी विद्येने युक्त भूमी उत्तम अन्न इत्यादी उत्पन्न करते. ॥ १६ ॥