तु॒जे न॒स्तने॒ पर्व॑ताः सन्तु॒ स्वैत॑वो॒ ये वस॑वो॒ न वी॒राः। प॒नि॒त आ॒प्त्यो य॑ज॒तः सदा॑ नो॒ वर्धा॑न्नः॒ शंसं॒ नर्यो॑ अ॒भिष्टौ॑ ॥९॥
tuje nas tane parvatāḥ santu svaitavo ye vasavo na vīrāḥ | panita āptyo yajataḥ sadā no vardhān naḥ śaṁsaṁ naryo abhiṣṭau ||
तु॒जे। नः॒। तने॑। पर्व॑ताः। स॒न्तु॒। स्वऽए॑तवः। ये। वस॑वः। न। वी॒राः। प॒नि॒तः। आ॒प्त्यः। य॒ज॒तः। सदा॑। नः॒। वर्धा॑त्। नः॒। शंस॑म्। नर्यः॑। अ॒भिष्टौ॑ ॥९॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे मनुष्या ! ये स्वैतवो वसवो वीरा न तने तुजे नः पर्वता मेघा दातार इव सन्तु योऽभिष्टौ पनित आप्त्यो यजतो नः सदा वर्धाद्यो नर्य्यो नः शंसं प्रापयेत्तान् सर्वान् वयं सत्कुर्याम ॥९॥
MATA SAVITA JOSHI
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