Go To Mantra

प्र स॒क्षणो॑ दि॒व्यः कण्व॑होता त्रि॒तो दि॒वः स॒जोषा॒ वातो॑ अ॒ग्निः। पू॒षा भगः॑ प्रभृ॒थे वि॒श्वभो॑जा आ॒जिं न ज॑ग्मुरा॒श्व॑श्वतमाः ॥४॥

English Transliteration

pra sakṣaṇo divyaḥ kaṇvahotā trito divaḥ sajoṣā vāto agniḥ | pūṣā bhagaḥ prabhṛthe viśvabhojā ājiṁ na jagmur āśvaśvatamāḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

प्र। स॒क्षणः॑। दि॒व्यः। कण्व॑ऽहोता। त्रि॒तः। दि॒वः। स॒ऽजोषाः॑। वातः॑। अ॒ग्निः। पू॒षा। भगः॑। प्र॒ऽभृ॒थे। वि॒श्वऽभो॑जाः। आ॒जिम्। न। ज॒ग्मुः॒। आ॒श्व॑श्वऽतमाः ॥४॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:41» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:13» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! (दिव्यः) शुद्ध व्यवहारयुक्त (कण्वहोता) बुद्धिमान् तथा देने और ग्रहण करनेवाले के सदृश जो (सक्षणः) सहनेवाला (त्रितः) तीन पृथिवी, जल और अन्तरिक्ष में बढ़ता (दिवः) श्रेष्ठ कामनाओं की इच्छा करता और (सजोषाः) साथ ही सेवन (वातः) वायु और (अग्निः) अग्नि (प्रभृथे) शुद्ध करनेवाले व्यवहार में (पूषा) पुष्टि करने वा (भगः) ऐश्वर्य का देने वा (विश्वभोजाः) संसार का पालन करनेवाला और (आश्वश्वतमाः) शीघ्र चलनेवाले घोड़े जिसके विद्यमान वे (आजिम्) सङ्ग्राम को (जग्मुः) जैसे प्राप्त होते हैं (न) वैसे (प्र) प्रयत्न किया जाता है, वही बहुत भोग की प्राप्ति कराता है ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! आप लोग अग्नि आदि पदार्थों से दारिद्र्य का नाश करके धनवान् हूजिये ॥४॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! दिव्यः कण्वहोतेव यः सक्षणस्त्रितो दिवः कामयमानः सजोषा वातोऽग्निः प्रभृथे पूषा भगो विश्वभोजा आश्वश्वतमा आजिं जग्मुर्न प्र यत्यते स एव पुष्कलं भोगं प्रापयति ॥४॥

Word-Meaning: - (प्र) (सक्षणः) सोढा (दिव्यः) शुद्धव्यवहारः (कण्वहोता) कण्वो मेधावी चासौ होता दाता च (त्रितः) त्रिषु क्षित्युदकान्तरिक्षेषु वर्धमानः (दिवः) दिव्याः कामनाः (सजोषाः) सहैव सेवमानः (वातः) वायुः (अग्निः) पावकः (पूषा) पुष्टिकर्ता (भगः) ऐश्वर्य्यप्रदः (प्रभृथे) शुद्धकरणे व्यवहारे (विश्वभोजाः) यो विश्वं भुनक्ति पालयति सः (आजिम्) सङ्ग्रामम् (न) इव (जग्मुः) प्राप्नुवन्ति (आश्वश्वतमाः) आशवः सद्योगामिनो अश्वा विद्यन्ते येषान्ते ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! यूयमग्न्यादिकपदार्थैर्दारिद्र्यं विच्छिद्य श्रीमन्तो भवेयुः ॥४॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो! तुम्ही अग्नी इत्यादी पदार्थांनी दारिद्र्याचा नाश करून धनवान व्हा. ॥ ४ ॥