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अ॒भि न॒ इळा॑ यू॒थस्य॑ मा॒ता स्मन्न॒दीभि॑रु॒र्वशी॑ वा गृणातु। उ॒र्वशी॑ वा बृहद्दि॒वा गृ॑णा॒नाभ्यू॑र्ण्वा॒ना प्र॑भृ॒थस्या॒योः ॥१९॥

English Transliteration

abhi na iḻā yūthasya mātā sman nadībhir urvaśī vā gṛṇātu | urvaśī vā bṛhaddivā gṛṇānābhyūrṇvānā prabhṛthasyāyoḥ ||

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Pad Path

अ॒भि। नः॒। इळा॑। यू॒थस्य॑। मा॒ता। स्मत्। न॒दीभिः॑। उ॒र्वशी॑। वा॒। गृ॒णा॒तु॒। उ॒र्वशी॑। वा॒। बृ॒ह॒त्ऽदि॒वा। गृ॒णा॒ना। अ॒भि॒ऽऊ॒र्ण्वा॒ना। प्र॒ऽभृ॒थस्य॑। आ॒योः ॥१९॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:41» Mantra:19 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:16» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:19


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (इळा) प्रशंसा करने योग्य वाणी वा भूमि (यूथस्य) समूह की (माता) आदर करनेवाली माता के सदृश (नः) हम लोगों की (अभि, गृणातु) सब ओर से स्तुति करे (वा) वा (आयोः) जीवन की (उर्वशी) बहुत वश में होते हैं, जिससे ऐसी वाणी (नदीभिः) श्रेष्ठों के सदृश नाड़ियों से (स्मत्) ही स्तुति करे (वा) वा (बृहद्दिवा) बड़ा प्रकाश जिसका ऐसी (गृणाना) स्तुति करनेवाली (उर्वशी) और बहुतों को वश में करनेवाली बुद्धि (अभ्यूर्ण्वाना) संमुखता से अर्थों को ढाँपती हुई (प्रभृथस्य) प्रकर्षता से धारण किये गये जीवन की स्तुति करे ॥१९॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! आप लोग जो सत्यभाषण से युक्त वाणी को धारण करें तो आप लोगों की अवस्था बढ़े ॥१९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! येळा यूथस्य मातेव नोऽस्मानभि गृणातु वायोरुर्वशी नदीभिस्स्मद् गृणातु वा बृहद्दिवा गृणानोर्वश्यभ्यूर्ण्वाना प्रभृथस्यायोर्गृणातु ॥१९॥

Word-Meaning: - (अभि) (नः) अस्मान् (इळा) प्रशंसनीया वाग्भूमिर्वा (यूथस्य) समूहस्य (माता) मान्यकर्त्री जननीव (स्मत्) एव (नदीभिः) सद्भिरिव नाडीभिः (उर्वशी) उरवो बहवो वशे भवन्ति यया सा वाणी। उर्वशीति पदनामसु पठितम्। (निघं०४.२) (वा) (गृणातु) स्तौतु (उर्वशी) बहुवशकर्त्री प्रज्ञा (वा) (बृहद्दिवा) बृहती द्यौः प्रकाशो यस्याः सा (गृणाना) स्ताविका (अभ्यूर्ण्वाना) आभिमुख्येनार्थानाच्छादयन्ती (प्रभृथस्य) प्रकर्षेण ध्रियमाणस्य (आयोः) जीवनस्य ॥१९॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! यूयं यदि सत्यभाषणयुक्तां वाणीं धरत तर्हि युष्माकमायुर्वर्धेत ॥१९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो! तुम्ही सत्य भाषणयुक्त वाणी वापरली तर तुमचे आयुष्य वाढेल. ॥ १९ ॥