तां वो॑ देवाः सुम॒तिमू॒र्जय॑न्ती॒मिष॑मश्याम वसवः॒ शसा॒ गोः। सा नः॑ सु॒दानु॑र्मृ॒ळय॑न्ती दे॒वी प्रति॒ द्रव॑न्ती सुवि॒ताय॑ गम्याः ॥१८॥
tāṁ vo devāḥ sumatim ūrjayantīm iṣam aśyāma vasavaḥ śasā goḥ | sā naḥ sudānur mṛḻayantī devī prati dravantī suvitāya gamyāḥ ||
ताम्। वः॒। दे॒वाः॒। सु॒ऽम॒तिम्। ऊ॒र्जय॑न्तीम्। इष॑म्। अ॒श्या॒म॒। व॒स॒वः॒। शसा॑। गोः। सा। नः॒। सु॒ऽदानुः॑। मृ॒ळय॑न्ती। दे॒वी। प्रति॑। द्रव॑न्ती। सु॒वि॒ताय॑। ग॒म्याः॒ ॥१८॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे देवा या सुदानुर्मृळयन्ती प्रति द्रवन्ती देवी सुविताय वो याति तामूर्जयन्तीं सुमतिमिषं च वयमश्याम। हे वसवो ! या गोः शसा सह वर्त्तते सा नोऽस्मान् प्राप्नोतु। हे विदुषि स्त्रि ! त्वमेतान् प्रति गम्याः ॥१८॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A