Go To Mantra

को नु वां॑ मित्रावरुणावृता॒यन्दि॒वो वा॑ म॒हः पार्थि॑वस्य वा॒ दे। ऋ॒तस्य॑ वा॒ सद॑सि॒ त्रासी॑थां नो यज्ञाय॒ते वा॑ पशु॒षो न वाजा॑न् ॥१॥

English Transliteration

ko nu vām mitrāvaruṇāv ṛtāyan divo vā mahaḥ pārthivasya vā de | ṛtasya vā sadasi trāsīthāṁ no yajñāyate vā paśuṣo na vājān ||

Mantra Audio
Pad Path

कः। नु। वा॒म्। मि॒त्रा॒व॒रु॒णौ॒। ऋ॒त॒ऽयन्। दि॒वः। वा॒। म॒हः। पार्थि॑वस्य। वा॒। दे। ऋ॒तस्य॑। वा॒। सद॑सि। त्रासी॑थाम्। नः॒। य॒ज्ञ॒ऽय॒ते। वा॒। प॒शु॒ऽसः। न। वाजा॑न् ॥१॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:41» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:13» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:1


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब बीस ऋचावाले एकचालीसवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में विश्वदेवों के गुणों को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मित्रावरुणौ) प्राण और उदान वायु के सदृश वर्त्तमान पढ़ने और पढ़ानेवाले जनो ! (वाम्) आप दोनों और (दिवः) प्रकाशों को (कः) कौन (ऋतायन्) सत्य का आचरण करता हुआ (वा) वा (पार्थिवस्य) पृथिवी में विदितजन के (महः) तेज को कौन (नु) शीघ्र जाने (वा) वा (दे) प्रकाशमान विद्वान् जनो ! (ऋतस्य) सत्य की (सदसि) सभा में (त्रासीथाम्) रक्षा करो (वा) वा (यज्ञायते) यज्ञ की कामना करते हुए के लिये (नः) हम लोगों की रक्षा करिये (वा) वा (पशुषः) पशुओं और (वाजान्) अन्नों के (न) सदृश हम लोगों के लिये भोगों को प्राप्त कराइये ॥१॥
Connotation: - हे विद्वानो ! जो आप लोग पृथिवी आदि पदार्थों की विद्या को जानते हैं, तो हम लोगों को उपदेश देवें और सभा में बैठ के सत्य न्याय को करें ॥१॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विश्वदेवगुणानाह ॥

Anvay:

हे मित्रावरुणौ! वां दिवः क ऋतायन् वा पार्थिवस्य महः को नु विजानीयाद्वा दे ऋतस्य सदसि त्रासीथां वा यज्ञायते नस्त्रासीथां वा पशुषो वाजान्नोऽस्मान् भोगान् प्रापयतम् ॥१॥

Word-Meaning: - (कः) (नु) सद्यः (वाम्) युवाम् (मित्रावरुणौ) प्राणोदानाविवाध्यापकाध्येतारौ (ऋतायन्) ऋतमाचरन् (दिवः) प्रकाशान् (वा) (महः) (पार्थिवस्य) पृथिव्यां विदितस्य (वा) (दे) देदीप्यमानौ देवौ। अत्र छान्दसो वर्णलोपो वेति वलोपः, सुपां सुलुगिति विभक्तेर्लुक्। (ऋतस्य) सत्यस्य (वा) (सदसि) सभायाम् (त्रासीथाम्) रक्षेतम् (नः) अस्मान् (यज्ञायते) यज्ञं कामयमानाय (वा) (पशुषः) पशून् (न) इव (वाजान्) ॥१॥
Connotation: - हे विद्वांसो! यदि भवन्तः पृथिव्यादिपदार्थविद्यां जानन्ति तर्ह्यस्मभ्यमुपदिशन्तु सभायां निषद्य सत्यं न्यायं कुर्वन्तु ॥१॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विश्वदेवाच्या गुणाचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्वीच्या सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे विद्वानांनो! जर तुम्ही पृथ्वी इत्यादी पदार्थाची विद्या जाणता तर आम्हाला उपदेश द्या व (राज्य) सभेत बसून न्याय करा. ॥ १ ॥