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आ तेऽवो॒ वरे॑ण्यं॒ वृष॑न्तमस्य हूमहे। वृष॑जूति॒र्हि ज॑ज्ञि॒ष आ॒भूभि॑रिन्द्र तु॒र्वणिः॑ ॥३॥

English Transliteration

ā te vo vareṇyaṁ vṛṣantamasya hūmahe | vṛṣajūtir hi jajñiṣa ābhūbhir indra turvaṇiḥ ||

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Pad Path

आ। ते॒। अवः॑। वरे॑ण्यम्। वृष॑न्ऽतमस्य। हू॒म॒हे॒। वृष॑ऽजूतिः। हि। ज॒ज्ञि॒षे। आ॒ऽभूभिः॑। इ॒न्द्र॒। तु॒र्वणिः॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:35» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:5» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) अत्यन्त ऐश्वर्य्य से युक्त राजन् ! (हि) जिससे (वृषजूतिः) वृष के वेग से युक्त (तुर्वणिः) शीघ्रकारी और श्रेष्ठ गुणों से युक्त मन्त्रियों की याचना करनेवाले आप (आभूभिः) जो विद्या और विनय में सब ओर से प्रकट होते हैं, उनके साथ (जज्ञिषे) प्रकट होते हो, उन (वृषन्तमस्य) अत्यन्त बलिष्ठ (ते) आपके (वरेण्यम्) अतीव उत्तम (अवः) रक्षण आदि कर्म्म को हम लोग (आ, हूमहे) उत्तम प्रकार से स्वीकार करते हैं ॥३॥
Connotation: - हे राजन् ! जिससे आप उत्तम गुण, कर्म्म और स्वभाववाले हो और पितृजन जैसे सन्तानों को वैसे हम लोगों का पालन करते हो, इससे आपको राजा हम लोग मानते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! हि यतो वृषजूतिस्तुर्वणिस्त्वमाभूभिस्सह जज्ञिषे तस्य वृषन्तमस्य ते वरेण्यमवो वयमा हूमहे ॥३॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (ते) तव (अवः) रक्षणादिकं कर्म्म (वरेण्यम्) अतीवोत्तमम् (वृषन्तमस्य) अतिशयेन बलिष्ठस्य (हूमहे) स्वीकुर्महे (वृषजूतिः) वृषस्येव जूतिर्वेगो यस्य सः (हि) यतः (जज्ञिषे) जायसे (आभूभिः) ये विद्याविनये समन्ताद्भवन्ति तैः सह (इन्द्र) परमैश्वर्य्ययुक्त राजन् (तुर्वणिः) यस्तुरः शीघ्रकारिणः शुभगुणानमात्यान् याचते सः ॥३॥
Connotation: - हे राजन् ! यतो भवान् शुभगुणकर्मस्वभावोऽस्ति पितृवदस्मान् पालयति तस्माद्भवन्तं राजानं वयं मन्यामहे ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा! तू उत्तम गुण, कर्म स्वभावाचा आहेस व पिता जसे संतानांचे पालन करतो तसे तू आमचे पालन करतोस. त्यामुळे आम्ही तुला राजा मानतो. ॥ ३ ॥